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CG News: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की मेहनत लाई रंग, बैगा आदिवासी समाज के बच्चे बोल रहे फर्राटेदार अंग्रेजी

CG News: छोटे-छोटे बच्चे अंग्रेजी में धाराप्रवाह बातचीत करते नजर आए हैं। यह दृश्य देखकर न केवल ग्रामीणों बल्कि पूरे जिले के शिक्षा जगत में उत्साह का माहौल है।

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CG News: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की मेहनत लाई रंग, बैगा आदिवासी समाज के बच्चे बोल रहे फर्राटेदार अंग्रेजी

CG News: कवर्धा जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र से एक प्रेरणादायक और खुबसूरत तस्वीर सामने आई है। पंडरिया विकासखंड के ग्राम जामुनपानी में रहने वाले बैगा आदिवासी समाज के छोटे-छोटे बच्चे अंग्रेजी में धाराप्रवाह बातचीत करते नजर आए हैं। यह दृश्य देखकर न केवल ग्रामीणों बल्कि पूरे जिले के शिक्षा जगत में उत्साह का माहौल है।

जामुनपानी ऐसा क्षेत्र है, जहां आज भी ग्रामीणों के लिए हिन्दी को सहज रूप से बोलना या समझना आसान नहीं है। बावजूद इसकेए वहीं के बच्चे आत्मविश्वास के साथ अंग्रेजी में संवाद कर रहे हैं। यह उपलब्धि स्थानीय शिक्षकों की समर्पण भावना और बच्चों की लगन का नतीजा है।

प्राथमिक शाला जामुनपानी में पढ़ने वाले इन बच्चों का माध्यम भले ही हिन्दी है, लेकिन शिक्षकों ने इन्हें अंग्रेजी भाषा की मूल बातें सिखाने के लिए निरंतर प्रयास किया। इसका परिणाम यह है कि ये बच्चे अब न केवल अंग्रेजी में बोल पा रहे हैं बल्कि माइक पर आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुति भी दे रहे हैं। हाल ही में शिक्षा विभाग द्वारा संकुल स्तरीय बाल कौशल प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत जिलेभर के विद्यालयों में बच्चों की विभिन्न क्षमताओं का प्रदर्शन हो रहा है।

इसी क्रम में जामुनपानी प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने अंग्रेजी संवाद प्रस्तुति देकर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। बच्चियों का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में दोनों छात्राएं बिना किसी झिझक या रुकावट के अंग्रेजी में प्रश्नोत्तर कर रही हैं। उनके उच्चारण और आत्मविश्वास को देखकर शिक्षकों और अभिभावकों के साथ-साथ जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी प्रभावित हैं।

प्रेरणा बनी जामुनपानी की पहल

वनांचल क्षेत्र के इस छोटे से विद्यालय की यह पहल अन्य ग्रामीण स्कूलों के लिए भी प्रेरणा बन गई है। यह उदाहरण इस बात को साबित करता है कि संसाधनों की कमी होने के बावजूद यदि शिक्षक और विद्यार्थी समर्पण के साथ काम करें, तो किसी भी भाषा या विषय में महारत हासिल की जा सकती है। ग्रामीणों ने भी कहा कि इस तरह की गतिविधियों से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे दुनिया से जुड़ने में सक्षम बनते हैं।