
एक विवाह ऐसा भी : यहां 151 बुजुर्ग जोड़ों ने लिए 7 फेरे, झूमकर नाचे नाती - पोते, वीडियो वायरल
खंडवा. मध्य प्रदेश के खंडवा में रविवार को एक अनूठा सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित हुआ। विवाह आयोजन में 151 दंपतियों ने अपने जीवनसाथी से एक बार फिर शादी करते हुए सात फेरों के साथ सात वचन निभाने की कसम खाई। इस शादी समारोह की खास बात थी कि, इसमें दूल्हा और दुल्हन पक्ष से नाती - पाते भी विशेष तो र पर शामिल हुए थे। दादा - दादी या नाना - नानी के शादी में उन्होंने भी अन्य बारातियों के साथ मिलकर जमकर डांस किया।
भारत विकास परिषद और अखिल विश्व गायत्री परिवार के सहयोग से आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में अनोखा नजारा देखने को मिला। रिटायर्ड इंजीनियर विनोद गंगवाल और करीब 6-7 अन्य दुल्हा घोड़ी पर चढ़कर शादी रचाने समारोह स्थल पहुंचे। रिटायर्ड डिप्टी रेंजर महेश राठौर 62 वर्षीय भी दूल्हा बने। राठौर की कमर में दर्द था, ऐसे में वो नीचे नहीं बैठ पा रहे थे। ऐसे में उनके लिए विसेष रूप से टेबल-कुर्सी लगाई गई, जिसपर बैठकर उन्होंने वैवैहिक रस्में पूरी की। दंपती ने कहा कि भले ही कमर में दर्द हो लेकिन हमारे हौंसले को ये दर्द भी रोक नहीं सकता।
समाज में जागरुकता के लिए ऐसे आयोजन जरूरी
वहीं, एलआईसी के विकास अधिकारी मनीष शुक्ला और पत्नी शिवा शुक्ला ने अपनी यादों को ताजा करते हुए 25 साल पुराने शादी के जोड़े को निकालकर दोबारा पहना। बारात में बुजुर्ग और उनके दोस्तों ने जमकर डांस करते हुए फूलों की वर्षा की। वृद्ध दंपतियों के चहरे भी अपनी खुशी पर इतने लोगों के खुश होने पर खिल उठे। दंपतियों ने एक से बढ़कर एक शादी के जोड़े पहन रखे थे। विनोद-सुनीता गंगवाल, सनत-चित्रा श्रीमली का कहना है कि, समाज में जागरुकता लाने के लिए इस तरह के आयोजन बहुत जरूरी हैं।
तेजी से हो रहा है समाज का पतन- भारत विकास परिषद
शहर के नवकार नगर में स्थित एक गार्डन में हुई शादी का ऐसा अनूठा उल्लास शहर ने भी पहली बार ही देखा। भारत विकास परिषद के अध्यक्ष अजय लाड़ के अनुसार, कार्यक्रम का उद्देश्य गृहस्थ जीवन में बढ़ रही दूरियां चिंता का विषय बनती जा रही हैं। मौजूदा समय में समाज का पतन इतनी तेजी से हो रहा है कि, इसमें माता - पिता, दादा - दादी तक का बटवारा होने लगा है। परिवार में नित्य लड़ाई झगड़े मन मुटाव, ईष्या-द्वेष, पक्षपात दिनों दिन बढ़ रहे हैं। हमारे परिवारों में स्नेह, मान-सम्मान, त्योग, सहकार का सर्वथा अभाव हो गया है। संयुक्त परिवार अब उंगलियों पर गिने जा सकते हैं।
आयोजन का उद्देश्य
अजय लाड़ ने कहा कि, आज परिवार की परिभाषा बदल गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए शहर के सामाजिक कार्यकर्ता, प्रतिनिधि, समाजसेवी और अन्य 151 दंपतियों ने पुन: सात फेरे लेकर गृहस्थ जीवन के सात बचनों को याद दिलाने का प्रयास किया है।
Published on:
31 Oct 2022 01:41 pm
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