
Confusion of no entry: permission of vehicles not accounted for
खंडवा. नो एंट्री का गड़बड़झाला बदस्तूर जारी है। अब तक पुलिस प्रशासन यह स्पष्ट नहीं कर सका है कि दोपहर में नो एंट्री के समय में जो छूट दी गई है उसमें कितने वाहनों को अनुमति मिली है। इसका हिसाब ना तो प्रशासन के पास है और ना ही पुलिस के पास कोई ऐसा रिकॉर्ड बना है। आवश्यक वाहनों को प्रशासन ने अनुमति दी है और यातायात पुलिस ट्रांसपोर्टर की लंबी लिस्ट अपने पास रखे है। इन सब के बीच गैर अनुमति वाले वाहनों की जांच करने कोई आगे नहीं बढ़ रहा। यही वजह है कि रसूखदार अपने वाहनों को दिनभर शहर के बीच दौड़ा रहे हैं।
कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं
प्रशासनिक अधिकारी बता रहे हैं कि नो एंट्री में कुछ वाहनों को ही अनुमति दी गई है। जबकि यातायात पुलिस के पास करीब डेढ़ सौ वाहनों की सूची रखी है। जांच कार्रवाही में भी वही वाहन पकड़े जाते हैं जो बाहरी ट्रांसपोर्टर के होते हैं। जबकि लोकल स्तर पर अपना दबदबा बनाकर रखने वाले ट्रांसपोर्टर की गाडि़यों को अनदेखा किया जा रहा है।
...तो कौन होगा जिम्ममेदार
यहां सवाल उठ रहा है कि भारी वाहनों की आवाजाही से हर व्यक्ति परेशान है। पुलिस प्रशासन की अनदेखी से किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। जांच करने लायक विषय है कि जो वाहन अनुमति लेकर चल रहे हैं उनके विंड स्क्रीन पर अनुमति पत्रक लगा है या नहीं? सूत्र बताते हैं कि अनुमति पत्रक इसलिए भी नहीं लगाया जाता ताकि अनुमति की आड़ में एक के स्थान पर कई वाहन चलाए जा सकें। बिना अनुमति वाहले वाहनों की जानकारी पुलिस प्रशासन को है, लेकिन कार्रवाई करने कोई आगे नहीं बढ़ता।
कितने समय की है अनुमति
यह बात भी सामने आई है कि वाहनों को अनुमति देने में समय का जिक्र नहीं किया गया। कितनी समयावधि के लिए उक्त वाहन को अनुमति दी गई है। एक इस बात का फायदा भी ट्रांसपोर्टर उठा रहे हैं। रोजा सैकड़ों हाइवा रेत, गिट्टी और डस्ट लेकर शहर में आते हैं। सवाल है कि आखिर इतना खनिज कहां और किस सरकारी काम में रोजाना लग रहा है?
बाल- बाल बचे पिता- पुत्री
भंडारिया रोड की वार्को सिटी में रहने वाले डॉक्टर शैलेन्द्र दसोरे बुधवार की सुबह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने मोटर साइकिल से जा रहे थे। तभी रास्ते में पीछे से आए रेत से भरे हाइवा आरजे 09 जीडी 4141 के चालक ने टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही पिता- पुत्री चाटिल होकर दहशत में आ गए। पास ही मौजूद स्थानीय लोगों की मदद से जब हाइवा को रोकते हुए उसके चालक को पकड़ लिया तो उसने अपने मालिक को बुलाया। नो एंट्री में हाइवा कैसे आया इस बात पर हाइवा मालिक चुप्पी साधे रहा और उसने पुलिस को सूचना देने से रोकते हुए आपसी समझौता कर लिया।
वर्जन...
शासकीय निर्माण कार्य और आवश्यक सामग्री के वाहनों को नो एंट्री में अनुमति दी गई है। कितने वाहनों को अनुमति अब तक दी है, इसका रिकॉर्ड देखना पड़ेगा।
- अरविंद सिंह चौहान, एसडीएम
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नो एंट्री में बिना अनुमति चल रहे भारी वाहनों पर सख्ती से कार्रवाई करेंगे। अनुमति वाले वाहनों की सूची तैयार करा रहे हैं। जरूरी है कि वाहन के विंड स्क्रीन पर अनुमति पत्रक लगा हो।
- विवेक सिंह, एसपी, खंडवा

Published on:
22 Dec 2022 11:19 am
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