
उत्कृष्ट विद्यालय में गणेश जी की पाठशाला
पत्रिका के द्वारा आयोजित ‘ गणेश जी की पाठशाला ’ में 250 बच्चों को धैर्य, एकाग्रता, सुनने की कला और विवेक जैसे गुणों को अपनाने की प्रेरणा मिली। उत्कृष्ट विद्यालय में ‘ गणेश जी की पाठशाला ’ में बच्चों ने विघ्नहर्ता के स्वरूप के से जीवन प्रबंधन के मूल मंत्र को सीखा। इस दौरान बच्चों ने बच्चों ने मिट्टी के गणेश मूर्ति निर्माण कर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया।
प्राचार्य भूपेंद्र सिंह चौहान और शिक्षक रूपेश बिल्लौरे ने गणेश के स्वरूप के आधार पर बच्चों को जिंदगी के मैनेजमेंट के मूल मंत्र के गुर बताए। इससे पहले पाठशाला का शुभारंभ जिला शिक्षा कार्यालय की सहायक संचालक संध्या जादव, प्राचार्य भूपेंद्र सिंह चौहान, योजना अधिकारी आरसोरे, बीएसी, बीआरसी समेत अन्य ने सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया।
पाठशाला में बच्चों ने मिट्टी के गणेश की मूर्ति का 20 मिनट में निर्माण किया। धर्मेंद्र जौहरी ने बच्चों को अंकों के माध्यम से मिट्टी के गणेश मूर्ति निर्माण के गुर बताए। विघ्नहर्ता के गुर सीखने के बाद उत्साहित बच्चों ने जौहरी के लाइव निर्माण के दौरान 15-20 मिनट में गणेश जी की मूर्ति का निर्माण कर लिया। कुछ बच्चों ने ग्रुप बनाकर निर्माण किया। इस दौरान पर्यावरण बचाने घर-घर मिट्टी के गणेश स्थापित करने का संकल्प लिया। उत्कृष्ट विद्यालय का सभागार मिट्टी के गणेश मूर्ति का निर्माण होते ही तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठा।
01-बड़ा मस्तक : गणेश जी के बड़ा मस्तक से बच्चों में सोच विकसित करने के साथ ही बुद्धि और विवेक से हर विषय को देखें और निर्णय लेते समय दीर्घकालिक परिणामों पर विचार करें।
2. छोटे नेत्र : छोटी आंख का तात्पर्य है कि एकाग्रता और सूक्ष्मता ध्यान साधना करें, हर रोज़ कुछ समय मौन में बिताएं। इससे सोचने और समझने की क्षमता विकसित होगी।
03. बड़े कान : सुनने की कला दूसरों की बातों को पूरी तरह सुनें, बीच में न टोकें। आलोचना को भी सीख का माध्यम मानें। बड़े कान और छोटा मुख हमें सिखाते हैं कि ज्यादा सुनो, कम बोलो और ज्ञान का संग्रह करो।
04. बड़ा पेट : सहनशीलता और धैर्य कठिन परिस्थितियों में संयम बनाए रखें। भावनाओं को नियंत्रित करना सीखें, प्रतिक्रिया से पहले सोचें। किसी बात को सुनने के साथ ही उसे अच्छे से समझें।
05. एक दांत टूटा : अपनी कमियों को पहचानें और उन्हें सुधारने का प्रयास करें। दूसरों की कमजोरियों को भी सहजता से स्वीकारें। गणेश जी के दंत टूटने पर उन्होंने टूटा दांत भी लिखने में लगाया, इससे शिक्षा मिलती है कि ज्ञान अर्जन के लिए हर परिस्थिति को साधन बनाओ।
06. मूषक वाहन : विनम्रता और साधन-संपन्नता छोटे संसाधनों से भी बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। साधनों की कमी को बाधा नहीं, प्रेरणा बनाएं।
07. लड्डू हाथ में : मीठा बोलें गणेश जी के हाथ में लड्डू हैं उन्हें मोदक प्रिय हैं, यह संकेत है कि वाणी भी हमेशा मीठी और मधुर होनी चाहिए। बच्चों को बताया गया कि मोदक उबाल कर बनाया जाता है। इस लिए जंक फूड से बचने का संदेश है।
08. विचित्र रूप : हर रूप में सकारात्मकता देखो, गणेश जी का विचित्र रूप हमें सिखाता है कि सुंदरता और मूल्य बाहरी रूप में नहीं, बल्कि गुण और आचरण में है।
09. विघ्नहर्ता स्वरूप : समस्याओं को अवसर बनाएं हर चुनौती में छिपे अवसर को पहचानें।
10 : गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, वे सिखाते हैं कि कठिनाइयों से घबराने के बजाय उनका समाधान ढूंढो।
गणेश जी ने माता-पिता को सर्वोच्च स्थान दिया, उन्हें ब्रह्मांड से भी ऊपर माना। यह सिखाता है कि माता-पिता का सम्मान करना केवल धर्म नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति का मार्ग है। उनकी सेवा में ही सच्चा सुख और सफलता छिपी है।
गणेश जी ने शिव-पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों को निभाया, चाहे परिणाम कुछ भी हो। यह हमें सिखाता है कि माता-पिता की बातों में गहराई होती है, और उनका मार्गदर्शन जीवन को सही दिशा देता है।
इन्होंने कहा,
संख्या जादव, सहायक संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय
भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश जी को सफलता का प्रतीक माना जाता है। इसी भाव को साकार करते हुए पत्रिका समूह ने उत्कृष्ट विद्यालय में गणेश जी की पाठशाला का आयोजन किया है। यह सराहनीय पहल है। गणेश जी माता-पिता को सर्वोच्च स्थान दिया दिया। इस आदर्श को बच्चे अपने संस्कार में लाएं।
प्राचार्य-भूपेंद्र सिंह चौहान
विद्यार्थियों में संस्कार, समर्पण और सृजनशीलता का विकास गणेश जी की कृपा से संभव है। उनकी बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्रेरणा से हम शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहे हैं। गणेश जी का आदर्श हमें कठिनाइयों में धैर्य और समाधान की राह दिखाता है। उनके एक-एक अंग जिंदगी के सफलता के सूत्र हैं। हमें उनके स्वरूप के संदेशों से सीखना चाहिए।
पाठशाला में मुख्य रूप से उत्कृष्ट विद्यालय के सैकड़ों बच्चों मौजूद रहे। पाठशाला का संचालन विद्यालय की शिक्षक राजकुमारी सोनी ने किया। इस अवसर पर प्रीति सातले, दीपक गुप्ता, बीआरसी बीएल बास्केल, बीएसी अरविंद यादव, वीरेंद्र भालसे आदि रहे।
Published on:
23 Aug 2025 12:47 pm
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