
Mp's cm Shivraj Singh Chouhan photo in football
खंडवा. फीफा विश्व कप के फीवर के बीच मप्र से ये अनोखा मामला सामने आया है।मनरेगा की मजदूरी के लिए रेशम मजदूर किसानों का धरना-प्रदर्शन जिला पंचायत में चल रहा है। धरने के सातवें दिन रेशम मजदूरों ने अनोखा प्रदर्शन करते हुए मप्र के सीएम के चित्र की फुटबॉल बनाकर खेली। इसकी जानकारी पुलिस को मिलते ही बल मौके पर पहुंचा और खेल रुकवाकर फुटबॉल कब्जे में ली। मजदूरों का कहना था कि अधिकारियों, नेताओं ने हमें फुटबॉल बनाकर रख दिया है, इसलिए हम भी अब मुख्यमंत्री की फुटबॉल बनाकर खेल रहे हैं।
चार साल पहले मनरेगा में रेशम कीट उत्पादन के लिए लगाए गए पौधों की मजदूरी के लिए मजदूर किसान भटक रहे हैं। पिछले सोमवार से धरन पर बैठे किसानों की कोई भी अधिकारी सुध लेने को तैयार नहीं है। जिससे जिला पंचायत में धरनारत मजदूर किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। रविवार को मजदूरों ने एक फुटबॉल पर मुख्यमंत्री का चित्र चिपकाया और फुटबॉल खेली। जैसे ही इस बात की जानकारी पुलिस को मिली, सीएसपी मनोहरसिंह बारिया और पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। सीएसपी ने किसानों को चेतावनी दी कि यदि इस तरह की कोई भी हरकत की तो केस बन जाएगा। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के विशाल शुक्ला, सौरभ कुशवाह ने कहा, मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है, इसलिए उनका आक्रोश मुख्यमंत्री के खिलाफ निकला है। सीएसपी का कहना था कानून को कोई हाथ में न ले। धरने सातवें दिन करणी सेना के जिलाध्यक्ष पंकजसिंह पुरणी भी मजदूरों के समर्थन में पहुंचे और भोजन की व्यवस्था भी करवाई।
सांकेतिक फांसी लगाकर मांगी सामूहिक इच्छामृत्यु
इससे पहले शनिवार को रेशम किसान और मजदूरों ने रैली निकाली तथा नारेबाजी के साथ ही पीड़ा बयां की। जो न माने झंडे से, वो मानेगा डंडे से..., किसान-मजदूर भाई-भाई, हम लेंगे पाई-पाई..., अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है... और हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते... जैसे नारों की गूंज के बीच रेशम किसान और मजदूरों ने जिला पंचायत से रैली निकाली और एसडीएम कार्यालय तक पहुंचे। यहां उन्होंने सांकेतिक फांसी लगाकर राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में सामूहिक इच्छामृत्यु मांगी। बता दें कि मनरेगा के तहत चार साल पहले रेशम कीट उत्पादन में मजदूरी करने, पौधे लगाने के बावजूद इन किसानों मजदूरी के लिए भटकना पड़ रहा है। एक सप्ताह से ये जिला पंचायत में डेरा डाले हुए हैं।
इस तरह की क्रूरता के लगाए आरोप
- प्रशासन ने मनरेगा अंतर्गत मजदूरी कार्य कराने के बाद भी अधिनियम का उल्लंघन करते हुए तीन वर्ष से भुगतान लंबित करके क्रूरता की है।
- प्रशासन ने खेतों में तैयार रेशम की फसलें नष्ट कराकर क्रूरता की है।
- प्रशासन ने प्रभावित किसानों को परंपरागत फसलोत्पादन व रेशम उत्पादन, दोनों फसलें प्राप्त करने वंचित कर दोहरा नुकसान किया है।
इन मांगों का निराकरण मांगा...
- लंबित भुगतान किया जाए।
- नष्ट फसलों का मुआवजा दिया जाए।
- प्रभावितों को पीडि़त किसान घोषित की जाए।
- पीडि़तों को रेशम उपयोजना से अलाभान्वित का प्रमाण पत्र दिया जाए।
अब आगे ये चेतावनी
प्रभावितों ने कहा कि पीडि़त, गरीब, आदिवासी, वनों में निवासरत किसानों के लिए ये क्रूरता असहनीय है। रेशम विभाग किसानों की मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसलिए राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि पीडि़त किसानों को 30 जुलाई को कलेक्टोरेट खंडवा के सामने अपनी इच्छा से सामूहिक रूप से फांसी लगाकर क्रूरता से मुक्ति पाने की अनुमति प्रदान की जाए।
Updated on:
09 Jul 2018 12:17 pm
Published on:
09 Jul 2018 11:58 am
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