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MP में 1 साल से ताले में बंद भगवान विष्णु के अवतारों की प्राचीन मूर्तियां!

MP News- मध्यप्रदेश में नींव खुदाई के दौरान मिली 12वीं शताब्दी की भगवान विष्णु अवतारों की दुर्लभ मूर्तियां पंचायत भवन में बंद हैं। संग्रहालय तक नहीं पहुंच पाने से धरोहरों पर संकट गहराया।

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खरगोन

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Akash Dewani

Aug 18, 2025

12th century vishnu idols locked panchayat bhawan kanapur ASI mp news

12th century vishnu idols locked panchayat bhawan kanapur ASI (Patrika.com)

MP News-मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के ग्राम कानापुर में अप्रैल 2024 में मांगलिक भवन की नींव खुदाई के दौरान मिली भगवान विष्णु अवतारों की प्राचीन मूर्तियां आज भी कमरे में कैद है। पुरातत्व विभाग ने तत्कालीन समय में इन्हें पंचायत भवन में रखवाकर कमरे को सील कर दिया था, लेकिन लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इन मूर्तियों को संग्रहालय में स्थानांतरित नहीं किया गया है। नतीजतन यह मूल्यवान धरोहर धूल फांक रही है और ग्रामीणों में लगातार चिंता का विषय बनी हुई है।

इतिहासकारों के अनुसार खुदाई में कुल नौ मूर्तियां मिली थी। इनमें से अधिकांश भगवान विष्णु के अवतार स्वरूप शंख, चक्र, गदा, पद्म मुद्रा और अभयमुद्रा धारण किए हुए हैं। दो मूर्तियां चंवर लिए नायिकाओं की भी बताई गई है। जबकि दो मूर्तियां भग्न अवस्था में है। पुरातत्वविद् डॉ. डीपी पांडे के अनुसार ये मूर्तियां 12वीं शताब्दी के परमारकाल की है और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। (12th century vishnu idols)

मूर्तियों को पंचायत भवन में सुरक्षित रखा गया

पुरातत्व संग्रहालय कसरावद व महेश्वर के अध्यक्ष डॉ. डीपी पांडे ने बताया कि कानापुर में मिली मूर्तियों को पंचायत के भवन में सुरक्षित रखा गया है। इन्हें पुरातत्व संग्रहालय में ले जाने के लिए कलेक्टर कार्यालय में पत्राचार किया गया है। अब तक वहां से अनुमति नहीं मिली है।

आक्रांताओं से बचाने के लिए दबाने का अनुमान

इतिहासकारों का मानना है कि जहां से मूर्तियां मिली वहां आसपास मंदिर का कोई अवशेष नहीं है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आक्रांताओं से मूर्तियों को बचाने के उद्देश्य से इन्हें जमीन में दबा दिया गया होगा। कानापुर के बुजुर्गों के अनुसार उस स्थान पर पहले देव झीरा कुंड हुआ करता था, जहां व्यापारी अपनी खरीद-बिक्री करते थे। संभवत: वहीं इन मूर्तियों को छिपाकर सुरक्षित किया गया होगा।

इतिहासकारों का यह भी मानना है कि यदि इन धरोहरों को सुरक्षित संग्रहालय या संरक्षित स्थल पर नहीं ले जाया गया, तो इनकी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व आने वाले वर्षों में खत्म हो सकता है।

प्रशासनिक लापरवाही पर उठ रहे सवाल

कानापुर की सरपंच अंजुला सुरेश पटेल ने कहा कि मूर्तियों को सुरक्षित रखने के नाम पर उन्हें पंचायत के स्टोर रूम में रखवाकर सील किया गया था। परंतु अब तक संग्रहालय तक नहीं ले जाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि जब मूर्तियां मिली थी तब सोशल मीडिया पर यह बड़ी चर्चा का विषय बनी थी। लेकिन एक साल बाद भी इन्हें उचित स्थान नहीं मिल सका है। ग्रामीणों की मांग है कि दुर्लभ धरोहरों को तुरंत पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित कर प्रदर्शित करना चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ियां इस धरोहर से परिचित हो सके।