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Mere Ram : भारत का वो राजा जिसने रावण को 6 महीने करके रखा था कैद, जानिए क्या है पूरी कहानी

- महेश्वर में 6 महीने तक कैद रहा था लंकापति रावण- एक शूरवीर राजा ने किया था रावण को पराजित- कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन थे रावण को कैद करने वाले राजा- भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का अवतार थे राजा कार्तवीर्य- प्राचीन महिष्मति साम्राज्य के राजा थे राजा कार्तवीर्य

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Mere Ram : भारत का वो राजा जिसने रावण को 6 महीने करके रखा था कैद, जानिए क्या है पूरी कहानी

क्या आप जानते हैं कि तीनों लोकों में सबसे ज्यादा ताकतवर होने का दंभ भरने वाला रावण मध्य प्रदेश में छह महीने तक कैद में रहा था ? आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ये बात बिल्कुल सच है। patrika.com की खास सीरीज 'मेरे राम' में हम आपको उस राजा के बारे में बताएंगे, जिसने रावण को कैद कर लिया था। दरअसल, भारत में ऐसे कई शूरवीर राजा रहे हैं, जिनके पराक्रम को हजारों वर्षों से याद रखा जा रहा है। इतिहास के पन्नों को पलटने पर ऐसे ही एक राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन का नाम सामने आता है, जो इतने बलशाली थे कि उन्हें राजाओं के राजा राजराजेश्वर के नाम से जाना जाता है। राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने न सिर्फ तीनों लोकों के अधिपति रावण को युद्ध में पराजित किया था, बल्कि 6 महीने तक अपनी कैदखाने में बंदी बनाकर ही रख लिया था।

पुराणों में राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का अवतार मानकर भगवान का दर्जा दिया गया है। हैहय वंश कुल में महाराज कार्तविर्य के घर उन्होंने माता पद्मिनी के गर्भ से जन्म लिया था। मौजूदा मध्य प्रदेश के खरगोन की पवित्र नगरी महेश्वर, जिसका प्राचीन नाम महिष्मति साम्राज्य है, कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन यहां के राजा बने। ये वही महिष्मति साम्राज्य है, जिसका नाम कुछ साल पहले रिलीज हुई फिल्म बाहुबली में लिया गया है।

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राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने किया था सात द्वीपों को विजय

मौजूदा समय में महेश्वर में त्रेतायुग का ही एक प्राचीन मंदिर भी है। ये मंदिर राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन को ही समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने अपने पराक्रम से सात द्वीपों पर विजय प्राप्त की थी। अपने जीवन काल में उन्होंने कई युद्ध लड़े लेकिन किसी युद्ध में वो पराजित नहीं हुए।


छह महीने तक यहां रखा बंदी बनाकर


रामायण समेत पुराणों के अनुसार, त्रेतायुग में उनके और लंकापति रावण के बीच हुए युद्ध का जिक्र मिलता है। इस युद्ध में भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने तीनों लोकों पर विजय पाने वाले भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त लंकापति रावण को पराजित करके माहिष्मती नगरी में 6 महीने तक कारावास में बंदी बनाकर रखा था। बाद में रावण के दादा महर्षि पुलस्त्य के आग्रह पर रावण को कारावास से मुक्त किया गया। इसके बाद कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन और रावण के बीच गहरी मित्रता भी हो गई थी।


ये था दोनों के बीच युद्ध का कारण

महेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे स्थित भगवान राजराजेश्वर कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन मंदिर के पुजारी महंत चैतन्यगीर महाराज का कहना है कि रामायण, दत्तात्रेय पुराण समेत अन्य पुराणों में उल्लेख है कि भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन अपनी रानियों के साथ नर्मदा नदी में जल क्रीड़ा कर रहे थे, तभी महेश्वर से कुछ दूरी पर जलकोटि के पास नदी के किनारे ही रावण भी विश्व विजय प्राप्ति के लिए पूजन कर रहा था। जल क्रीड़ा करते हुए कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा के वेग को रोक दिया था, जिससे अचानक नर्मदा का जल स्तर इतना बढ़ गया कि आगे पूजा कर रहे रावण के बनाएं शिवलिंग और उसकी पूजन सामग्री पानी में बह गई। इससे रावण इतना क्रोधित हो गया कि उसने कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन को युद्ध के लिए ललकार दिया। इस युद्ध में भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने न सिर्फ स्वीकार किया, बल्कि युद्ध में रावण को उसकी पूरी सेना के साथ हराकर बंदी बना लिया था।