जयपुरPublished: Sep 29, 2018 10:11:37 am
जमील खान
आमतौर पर लड़का और लड़की के बीच फर्क करना बेहद आसान होता है।
हमारी सामाजिक परम्पराएं ***** के आधार पर फर्क कर बच्चों को सिखाती हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। बजाय इसके कि उनकी योग्यता क्या है और वे क्या कर सकते हैं। यह अवधारणा बच्चों एवं युवाओं दोनों के लिए ही नकारात्मक हैं।