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125 परिवारों और 1000 से अधिक मतदाताओं वाला गांव सुविधाओं से महरूम, जानें लोगों की दर्दनाक दास्तान

CG News: कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लॉक में स्थित जुगानी कैंप गांव 125 परिवारों और 1000 से अधिक मतदाताओं वाला होने के बावजूद बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।

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गांव सुविधाओं से महरूम (Photo source- Patrika)

गांव सुविधाओं से महरूम (Photo source- Patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लॉक में स्थित जुगानी कैंप गांव शासन-प्रशासन की उपेक्षा की एक मार्मिक कहानी बन गया है। लगभग 125 परिवारों और 1000 से अधिक मतदाताओं वाला यह गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। तीन अलग-अलग पंचायतों- जुगानी कलार, कुल्हाड़गांव और चुरेगांव—का आश्रित होने के कारण यह गांव विकास की मुख्यधारा से कट गया है।

पशुपालन में अग्रणी, पर पशु चिकित्सालय नहीं- घोर विडंबना: जुगानी कैंप क्षेत्र का प्रमुख दुग्ध उत्पादक ग्राम है, जहाँ अधिकांश लोग पशुपालन पर निर्भर हैं। यहां एक छोटी डेयरी भी संचालित होती है। बावजूद इसके, गांव में पशु चिकित्सा केंद्र तक नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि दंडकारण्य प्रोजेक्ट के दौरान यहां पशु चिकित्सा केंद्र हुआ करता था, लेकिन अब वह केवल इतिहास बनकर रह गया है।

CG News: ग्रामीणों की मांग - ‘अब और बर्दाश्त नहीं’

गांव के तापस सरकार, संजु हालदार, स्वपन बोस और अन्य ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से सख्त लहजे में कहा है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे। उनकी प्रमुख माँगें इस प्रकार हैं -जुगानी कैंप को पूर्ण ग्राम पंचायत का दर्जा दिया जाए। गांव में नया और सुसज्जित उप स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया जाए। पशु चिकित्सा केंद्र की पुन: स्थापना की जाए, ताकि पशुपालकों को राहत मिले।

विकास की ‘ट्रिपल उपेक्षा’: 3 पंचायतों में बंटा गांव, लेकिन किसी की जिम्मेदारी नहीं

गांव के लोगों का कहना है कि तीन पंचायतों का आश्रित होने के कारण किसी भी पंचायत ने अब तक यहां के विकास की जिम्मेदारी नहीं ली। सड़कें जर्जर हैं, बारिश में चलना मुश्किल हो जाता है, लेकिन किसी स्तर पर मरम्मत नहीं की गई। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण जुगानी कैंप ‘‘अस्तित्वहीन गांव’’ बनकर रह गया है।

सवाल यह है - कब मिलेगा ‘वजूद’?

जुगानी कैंप के ग्रामीणों की यह आवाज प्रशासन की उदासीनता पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। क्या सरकार 1000 से अधिक मतदाताओं वाले इस जागरूक और मेहनती गांव को यूँ ही बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखेगी? अब जरूरत है कि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप करे और इस उपेक्षित गांव को उसका ‘वजूद’ और विकास का अधिकार वापस दिलाए।

सुभाष मंडल, रितेश राय, संजु हालदार (ग्रामीण): केंद्र शासन ने हमें विस्थापित कर यहां बसाया था, तब स्वास्थ्य केंद्र था। दंडकारण्य प्रोजेक्ट खत्म होते ही हमारी किस्मत भी खत्म हो गई। आज हम आस-पास की पंचायतों के मोहताज हैं।हमे कोई सुविधा नही मिलती है।

विश्वनाथ सिकदार, बबलू मंडल, तापस सरकार (ग्रामीण): हम सबसे ज्यादा दूध देते हैं, लेकिन पशुओं के इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं। बीमार पशुओं को 2-3 किलोमीटर दूर ले जाना पड़ता है या फिर अपनी जेब से डॉक्टर बुलाना पड़ता है। यह हमारे साथ अन्याय है।

इलाज के लिए 3 किलोमीटर का सफर

CG News: गांव में पहले जो उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित था, उसका भवन अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है।एएनएम नर्स की ड्यूटी भी बंद कर दी गई और स्वास्थ्य सेवाएँ अब 3 किमी दूर जुगानी कलार में स्थानांतरित कर दी गई हैं।