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Interview : बच्चों तक बुनियादी शिक्षा तक नहीं पहुंचा पायी केन्द्र सरकार, निजी क्षेत्र को बढ़ावा देकर अपनी जिम्मेदारी से हट रही : डॉ.विक्रम सिंह

कहा कि देश में बच्चों तक शिक्षा की पहुंच नहीं हो पा रही है जबकि इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान से लेकर माध्यमिक और रूसा तक के अभियान चलाए जा रहे हैं।

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कोरबा

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Shiv Singh

May 12, 2018

Interview : बच्चों तक बुनियादी शिक्षा तक नहीं पहुंचा पायी केन्द्र सरकार, निजी क्षेत्र को बढ़ावा देकर अपनी जिम्मेदारी से हट रही : डॉ.विक्रम सिंह

कोरबा . केन्द्र सरकार बच्चों तक शिक्षा की पहुंच, गुणवत्ता और रोजगार ऐसे तीन मसलों पर काम करने के लिए तैयार नहीं है, बल्कि निजी क्षेत्र को बेहतर बताकर उस पर सरकारी संसाधन जुटाने में लगी है जबकि हकीकत यह है कि 80 फीसदी निजी संस्थान भी शिक्षा में गुणवत्ता नहीं दे पा रहे हैं। अब सभी मुद्दों पर छात्रों को एकजुट करके आंदोलन किया जाएगा।

यह कहना है स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के राष्ट्रीय महासचिव डॉ.विक्रम सिंह का। संगठन प्रवास पर ऊर्जाधानी आए डॉ. सिंह ने शुक्रवार को कोरबा पत्रिका कार्यालय में अपने संगठन, आगामी रणनीति और शिक्षा व रोजगार से जुड़े विषयों पर लंबी चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश में बच्चों तक शिक्षा की पहुंच नहीं हो पा रही है जबकि इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान से लेकर माध्यमिक और रूसा तक के अभियान चलाए जा रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि शिक्षा में समानता भी नहीं है और गुणवत्ता की बात ही नहीं है। कडुवी हकीकत यह है कि कक्षा एक में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों में मुश्किल से ५०-६० फीसदी बच्चे ही आठवीं तक पहुंच पाते हैं जबकि उच्च शिक्षा तक पहुंचने की प्रतिशत और भी कम है।
उच्च शिक्षा में जीईआर भी मुश्कि से २३ फीसदी है जबकि इसे कम से कम ३२ फीसदी तक होना चाहिए। डॉ. सिंह ने उच्च शिक्षा के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी से लेकर आईआईटी-एनआईआईटी तक में २५ से लेकर ५० फीसदी तक फैकल्टी के पद रिक्त हैं।

पीजी स्तर पर सेमेस्टर लागू किए जाने से शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ है और बेहतर नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार निजी क्षेत्र को पीपीपी के जरिए शिक्षा में प्राथमिकता दे रही है जबकि हकीकत यह है कि निजी क्षेत्र की ८० फीसदी संस्थाएं सरकारी संस्थान जैसे हैं और वे बेहतर गुणवत्तायुक्त शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं, वही निजी क्षेत्र अच्छा परिणाम दे रहे हैं, जहां उच्च वर्ग के बच्चे मोटी रकम देकर पढ़ रहे हैं।

रोजगार के मसले पर डॉ.सिंह ने कहा कि रोजगार के अवसर लगातार कम हो रहे हैं। सर्वे में कहा जा रहा है कि देश में तैयार होने वाले स्नातकों में बड़ी संख्या में ऐसी है जो रोजगार के लायक नहीं है। यह बेहद चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि इन सभी मुद्दों पर विभिन्न छात्र संगठनों को संगठित करके इसी माह कन्वेंशन किया जाएगा और आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

ऊर्जाधानी पर प्रवास पर डॉ. सिंह ने एसएफआई की ओर से बांकीमोंगरा में वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक परिवेश और शिक्षा के समक्ष चुनौतियां विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया। डॉ. सिंह ने रोजगार और शिक्षा में सुधार पर बल दिया। इस अवसर पर संपूरन कुलदीप, प्रशांत झा ने भी अपने विचार रखे।