9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कोयला उत्पादन बढ़ाने की योजना को लगा जोर का झटका, पर्यावरण विभाग ने क्या कहा पढि़ए पूरी खबर…

Coal Mines : एसईसीएल (SECL) की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा से कोयला उत्पादन (Coal production) बढ़ाने की योजना को झटका लगा है। 10 साल पहले हुई जनसुनवाई को आधार बनाकर गेवरा खदान के विस्तार के लिए मांगी गई अनुमति को पर्यावरण विभाग ने देने से मना कर दिया है। पर्यावरण संरक्षण मंडल के जरिए पर्यावरणीय सुनवाई कराने के लिए कहा गया है।

2 min read
Google source verification
कोयला उत्पादन बढ़ाने की योजना को लगा जोर का झटका, पर्यावरण विभाग ने क्या कहा पढि़ए पूरी खबर...

कोयला उत्पादन बढ़ाने की योजना को लगा जोर का झटका, पर्यावरण विभाग ने क्या कहा पढि़ए पूरी खबर...

कोरबा. गेवरा एसईसीएल (SECL) की सबसे बड़ी मेगा प्रोजेक्ट है। खदान की वर्तमान उत्पादन (Coal production) क्षमता 40 मिलियन टन है। चालू वित्तीय वर्ष कोयला उत्पादन बढ़ाकर 50 मिलियन टन करने की योजना है। इसके लिए एसईसीएल प्रबंधन की ओर से खदान (Coal Mines) के विस्तार के लिए अनुमति की मांग की गई थी। सुपर थर्मल पॉवर प्लांट में कोयले की जरूरत को आधार बनाकर एसईसीएल ने उत्पादन के लिए अनुमति मांगी थी।

Read More : Social Pride : इनके लिए नौकरी का मतलब सिर्फ 9 से 5 की ड्यूटी नहीं, उफनते नदी में नांव से फिर 3 किमी जंगल में बाइक चलाकर पहुंचेे इलाज करने

इस पर विचार विमर्श के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से गठित विशेषज्ञों की कमेटी की बैठक हुई। इसमें कंपनी के मांग पर चर्चा की गई। गेवरा प्रोजेक्ट के विस्तार से पहले कंपनी की ओर से दी गई जानकारियों का टीम ने अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि गेवरा खदान विस्तार के लिए 22 अगस्त, 2008 को हुई पर्यावरणीय जनसुनवाई को आधार बनाया है। वह 10 साल से अधिक पुरानी है। चर्चा के बाद विशेषज्ञों की समिति ने एसईसीएल को क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल के जरिए दोबारा जनसुनवाई कराने के लिए कहा है।

ग्रामीणों की सहमति लेना मुश्किल
खदान विस्तार (Mine extension) के लिए अब तक कई बार जनसुनवाई हो चुकी है। हर सुनवाई में प्रबंधन को इसे सफल बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। खदान (Coal Mines) के आसपास रहने वाले लोगों को उम्मीद के अनुसार नौकरी, पुनर्वास सहित अन्य समस्याओं का समाधान नहीं होता। इससे लोग जमीन अधिग्रहण का विरोध करते हैं।

Read More : Breaking : सड़क के लिए रोड पर उतरे पूर्व गृहमंत्री ननकी, देर से पहुंचने के बाद अब आंदोलन हुआ शुरू, कल यहीं फंसे गए थे जाम में

दीपका के पीएफआर में गड़बड़ी
गेवरा के साथ दीपका प्रोजेक्ट से भी कोयला उत्पादन (Coal production) बढ़ाने के लिए चल रही प्रक्रिया को झटका लगा है। विशेषज्ञों की टीम को दीपका के पीएफआर (प्री फिसिब्लिटी रिपोर्ट) में कमी मिली है।। मंत्रालय ने एसईसीएल को 30 दिसंबर, 2010 की गाइड लाइन के आधार पर नए सिरे से पीएफए तैयार करने के लिए कहा है। दीपका खदान की वार्षिक उत्पादन क्षमता 35 मिलियन टन है। इसे एसईसीएल प्रबंधन ने 40 मिलियन टन करने की योजना बनाई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार है।

कुसमुंडा खदान का सब कमेटी करेगी निरीक्षण
एसईसीएल प्रबंधन गेवरा और दीपका के साथ-साथ कुसमुंडा खदान से भी कोयला उत्पादन (Coal production) बढ़ाने के लिए कार्य कर रहा है। कुसमुंडा से सालाना 50 मिलियन टन कोयला खनन की योजना है। वर्तमान से 40 मिलियन टन कोयला खनन की अनुमति प्रबंधन के पास है। सालाना 10 मिलियन टन की बढ़ोत्तरी के लिए एसईसीएल ने पर्यावरणीय स्वीकृति की कोशिशों में लगा है। विशेषज्ञों की टीम ने कुसमुंडा खदान (Kusmunda Mines) का निरीक्षण एक सब कमेटी से कराने के लिए कहा है।

एक साल के लिए बढ़ा उत्पादन
समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2018-19 में गेवरा खदान (Gerva Mines) से कोयले का उत्पादन 41 मिलियन के बजाए 45 मिलियन टन कोयला खनन की अनुमति प्रबंधन को मिली थी, लेकिन यह अनुमति केवल एक साल के लिए थी। चालू वित्तीय वर्ष में कंपनी को फिर से अनुमति लेनी होगी।