Coal Mines: आक्रोशित ग्रामीणों ने ग्राम भठोरा में मिट्टी उत्खनन का काम बंद करा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल प्रबंधन बसाहट, मुआवजा और पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही उनकी जमीन पर कब्जा कर रहा है।
कोयला खदान के लिए जमीन अधिग्रहित, लेकिन ग्रामीणों को नहीं मिला बसाहट, धरने पर बैठे प्रभावित, काम कराया बंद
कोरबा. एसईसीएल गेवरा खदान से प्रभावित ग्राम भठोरा के ग्रामीणों ने खदान में चल रहे मिट्टी खनन और कोयला परिवहन के काम को बंद करा दिया गया। ग्रामीणों की मांग है कि जब तक पुनर्वास रोजगार और मुआवजा की समस्या दूर नहीं हो जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। खदान में मिट्टी खनन और कोयला परिवहन ठप होने से गेवरा प्रबंधन परेशान हैं। ग्रामीणों को समझाने के लिए प्रबंधन से जुड़े अधिकारी सीआईएसएफ जवानों के साथ मौके पर पहुंचे हैं। ग्रामीणों को समझाने की कोशिश जारी है, लेकिन ग्रामीण आंदोलन को खत्म करने के लिए तैयार नहीं है।
Must Read : Korba: एक करोड़ 90 लाख रुपए का सेनोस्फेयर पकड़ाया ग्रामीण घटनास्थल पर गेवरा के मुख्य महाप्रबंधक और कटघोरा के अनुविभागीय दंडाधिकारी को बुलाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि दोनों अधिकारियों की उपस्थिति में ही बात करेंगे। एसईसीएल प्रबंधन गेवरा खदान विस्तार के लिए ग्राम भठोरा की 359 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। जमीन अधिग्रहण की नीति के अनुसार ग्रामीणों का कहना है कि प्रबंधन को 230 खातेदारों को बसाहट के लिए जमीन उपलब्ध कराने हैं। खदान से प्रभावित लोगों को कंपनी की रोजगार नीति के अनुसार नौकरी भी उपलब्ध कराया जाना है। साथ ही जमीन के बदले मुआवजा भी प्रदान किया जाना है।
Must Read : कोरोना वायरस को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, बनाए गए 10 आइसोलेशन सेंटर ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल प्रबंधन बसाहट मुआवजा और पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी किए बिना उनकी जमीन पर कब्जा कर रहा है। जेसीबी मशीनों से उनकी जमीन पर मिट्टी खनन का कार्य चालू किया है। अपनी मांगों को लेकर 2 दिन पहले भठोरा के ग्रामीणों ने गांव में एक बैठक की थी। समस्या को लेकर गेवरा जीएम से मिलने ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था। ग्रामीणों का कहना है कि प्रतिनिधिमंडल ने गेवरा के महाप्रबंधक से मुलाकात करने की कोशिश की लेकिन महाप्रबंधक ने अपने मातहत अधिकारियों के जरिए उन तक संदेश पहुंचाया कि अभी वे विभागीय मीटिंग में व्यस्त हैं। भू विस्थापितों से नहीं मिल सकते हैं। महाप्रबंधक की संदेश सुनकर भू विस्थापितों का प्रतिनिधिमंडल गांव लौट गया। इसके बाद प्रबंधन के खिलाफ हड़ताल की रणनीति बनाई गई।
गुरुवार को ग्राम मथुरा के ग्रामीण जिसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग युवा महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। ग्राम भठोरा की अपनी जमीन पर पहुंचे। मिट्टी खनन में लगी मशीनों को बंद करा दिया। गाडिय़ों को भी रोक दिया। प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी चालू कर दी। मिट्टी खनन रोकने के बाद भठोरा के लोग गेवरा खदान के भीतर पहुंच गए। ग्रामीणों ने कोयले के परिवहन को भी ठप करा दिया। ग्रामीण कोयले की फेस के पास ही बैठ गए हैं। घटनास्थल पर गेवरा के महाप्रबंधक पी पाल और और कटघोरा के अनुविभागीय दंडाधिकारी सूर्य किरण तिवारी को बुलाने की मांग कर रहे हैं। सुबह करीब 10 बजे से खदान में मिट्टी और कोयला खनन का कार्य बंद है।
ग्रामीणों को समझाने के लिए कंपनी के लाइजनिंग ऑफिसर अविनाश शुक्ला मौके पर पहुंचे हैं, लेकिन ग्रामीण उनकी बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। गतिरोध बना हुआ है इसे दूर करने की कोशिश जारी हैं। सुरक्षा बनाए रखने के लिए सीआईएसएफ के जवान भी मौके पर मौजूद हैं। कानून व्यवस्था में सहयोग करने के लिए हरदी बाजार से भी पुलिस बुलाई गई है। खदान के भीतर ग्रामीणों का आंदोलन जारी है।