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रेल कॉरीडोर की वजह से कई रेंज के जंगल प्रभावित, अब करनी होगी भरपाई

CG News : एसईसीएल,ईरकान इंटरनेशनल और छग सरकार के ज्वाइंट वेंचर में बनी छत्तीसगढ़ ईस्ट वेस्ट रेलवे लिमिटेड कंपनी द्वारा तेजी से ईस्ट वेस्ट रेल कॉरीडोर का काम किया जा रहा है।

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रेल कॉरीडोर की वजह से कई रेंज के जंगल प्रभावित, अब करनी होगी भरपाई

रेल कॉरीडोर की वजह से कई रेंज के जंगल प्रभावित, अब करनी होगी भरपाई

कोरबा। CG News : एसईसीएल,ईरकान इंटरनेशनल और छग सरकार के ज्वाइंट वेंचर में बनी छत्तीसगढ़ ईस्ट वेस्ट रेलवे लिमिटेड कंपनी द्वारा तेजी से ईस्ट वेस्ट रेल कॉरीडोर का काम किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में एसईसीएल 64 फीसदी, ईरकान का 24 और प्रदेश सरकार का 10 फीसदी खर्च वहन कर रही है। वर्तमान में गेवरारोड से पेंड्रारोड के बीच रेल लाइन बिछाई जा रही है। इस लाइन की वजह से कई रेंज के 50 से भी ज्यादा कम्पार्टमेंट प्रभावित हो रहे हैं। घने जंगल उजड़ रहे हैं तो वहीं वन्य प्राणियाें के लिए बनाए गए स्टॉपडेम समेत कई निर्माण भी टूट रहे हैं। इसके लिए कंपनी को भरपाई करनी होगी।

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वर्तमान में कोरबा या फिर गेवरारोड से पेंड्रारोड के लिए सीधी लाइन नहीं है। वर्तमान में पहले 90 किमी अतिरिक्त बिलासपुर जाना पड़ता है। कॉरीडोर बनने के बाद कोरबा से पेंड्रारोड होते हुए शहडोल मार्ग से दिल्ली रुट पर सीधे यात्री ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। इससे समय काफी बचेगा। गेवरारोड से पेंड्रा के बीच सैकड़ों पहाड़ी अंचल गांव यात्री ट्रेनों से जुड़ जाएंगे।

सबसे अधिक कटघोरा वनमंडल के जंगल को पहुंच रहा नुकसान

ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरीडोर और तीन राज्यों तक जाने वाली पॉवर ग्रिड की हाइटेंशन लाइन की वजह से जंगलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। वनमंडलों ने नुकसान की गणना कर भरपाई के लिए कंपनियों को डिमांड नोट भेजा है। कुछ कार्यों के लिए पैसा भी जमा हो चुका है।

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इन हाइटेंशन लाइनों की वजह से भी हो रहा आंशिक नुकसान

पॉवर ग्रिड की कोरबा से झारसुगड़ा, कोरबा से बिरसिंगपुर, सीपत से रांची, रांची से कोरबा तक हाइटेंशन लाइन का काम पहले ही पूरा हो चुका है। इन लाइनों के लिए जंगल में हाइटेंशन टॉवर खड़े किए गए हैं। टॉवरों की वजह से कुछ जगहों पर जंगलों को नुकसान हुआ है। इससे नुकसान का आंकलन करीब एक करोड़ का किया गया है।
कटघोरा वनमंडल के इन क्षेत्रों में जंगल को अधिक नुकसान

कम्पार्टमेंट हेक्टेयर राशि

- पी 255 10.73 81000

- पी 263 7.00 53000

- पी 260 137.05 10.28 लाख

- पी 255 217.86 16.35 लाख

- ओए 674 30 2.25 लाख

- पी 170 70 5.25 लाख

- पी 171 60 4.50 लाख

- पी 2 तलसेरा 60 4.50 लाख

- पी 4 उड़ान 50 3.75 लाख

- पी 6 उड़ान 45 3.38 लाख

- पी 59 सुरका 100 7.50 लाख

- पी 29 सपलवा 100 7.50 लाख

- पी 29 सपलवा 80 6.00 लाख

- पी 51 सुरका 35 2.63 लाख


जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरी

जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है। इस पूरे प्रोजेक्ट से 84 छोटे-बड़े गांव प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि इस कॉरीडोर से सबसे अधिक वन भूमि प्रभावित होगी। लाखों पेड़ काटने भी होंगे। अब तक कुल निजी जमीन 430.80 हेक्टेयर, सरकारी जमीन 57.573 हेक्टेयर व वन भूमि 453.99 हेक्टेयर ली जा रही है। इसमें कोरबा व पेंड्रा जिले की भी जमीन शामिल हैं।

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गांव दूरी

- सुराकछार 3.1 किमी

- कटघोरा 21.20 किमी

- पुटुवा 48.48 किमी

- मातिनी 61.64 किमी

- सिंदुरगढ़ 69.25 किमी

- पुटीपखना 84.98 किमी

- भांडी 112.20 किमी

- धनगांव 125.85 किमी


ये साइडिंग जुड़ेंगे कॉरीडोर से

इस कॉरीडोर से अलग-अलग कोल साइडिंग भी जुड़ेंगे। इसका फायदा एसईसीएल, रेलवे के साथ-साथ पावर प्लांटों को भी होगा। जुनाडीह रेलवे साइडिंग, दीपका साइडिंग, कुसमुंडा और एनटीपीसी लूप्स से कॉरीडोर जुड़ेगा।


200 करोड़ से ज्यादा खर्च के बाद काम बंद

पिछली बार जब कॉरीडोर का काम शुरु हुआ था तब तेजी दिखाई गई थी। इसमें अब तक 200 करोड़ से ज्यादा खर्च करने के बाद काम बंद कर दिया गया था। इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब दो हजार करोड़ के आसपास है।