
CG Coal India: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एसईसीएल की अंबिका कोयला खदान से प्रभावित खातेदार मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, कुसमुडा और दीपका की तर्ज पर पुनर्वास के लिए प्रति खातेदार 15 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं। इसके लए आंदोलनरत हैं और खनन को लेकर गतिरोध बना हुआ है।
हालांकि जिला प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को समझाकर उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया जा रहा है। लेकिन ग्रामीणों को प्रशासन के आश्वासन पर ज्यादा भरोसा नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले उनकी मांग पूरी हो फिर कंपनी कोयला खोदे।
विकासखंड पाली में अंबिका खदान कोयला कंपनी की ओर से शुरू किया गया है। वर्तमान में इस खदान के लिए मिट्टी खनन का कार्य चल रहा है लेकिन जैसे-जैसे यह कार्य आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे प्रबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही है। ग्रामीणों को भी लग रहा है कि उनकी मांगों को कोयला कंपनी और जिला प्रशासन ने अभी पूरा नहीं किया तो आने वाले दिनों में उनके लिए राह कठिन हो जाएगी। मांगों के समर्थन में ग्रामीण आंदोलनरत हैं।
इस बीच ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन को अपना मांगपत्र सौंप दिया है। इसमें कहा गया है कि अंबिका कोयला खदान से प्रभावित गांव के लोगों को भी मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा की तर्ज पर बसाहट के लिए 15 लाख रुपए प्रदान किया जाए। इसके पीछे उनका तर्क है कि खदान के लिए मेगा प्रोजेक्ट में भी जमीन अधिग्रहित की गई है और अंबिका खदान के लिए भी ग्रामीणों की जमीन गई है फिर कंपनी की ओर से दोहरी नीति क्यों अपनाई जा रही है।
अंबिका कोयला खदान के लिए प्रबंधन ने ग्राम करतली की जमीन का अधिग्रहण किया है। इस खदान से 150 से अधिक ग्रामीण प्रभावित हुए हैं। अभी तक प्रभावित खातेदारों को प्रबंधन की ओर से स्थाई नौकरी उपलब्ध नहीं कराया गया है। अलग-अलग कारणों से इसमें देरी हो रही है। इससे ग्रामीण नाराज हैं।
ग्रामीणों ने खदान से प्रभावित लोगों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति को लागू करने की मांग की है। उनका कहना है कि कोल इंडिया की पॉलिसी उन पर लागू न किया जाए। उन्होंने इस पॉलिसी का विरोध किया है और इसे खातेदारों के लिए नुकसानदेह बताया है।
साथ ही कोयला खदान से प्रभावित परिवारों को स्थाई रोजगार की मांग की है। अन्य मांगों से भी प्रबंधन को अवगत कराया है। अंबिका कोयला खदान के लिए प्रबंधन ने इसी साल कार्य शुरू किया है। जब से कंपनी ने यह कार्य शुरू किया है तभी से ग्रामीण विरोध कर रहे हैं और अपनी मांगों के समर्थन में समय-समय पर आंदोलन चला रहे हैं।
Updated on:
21 Mar 2025 11:11 am
Published on:
21 Mar 2025 11:10 am
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