जन एजेंडा में चर्चा के दौरान चेंजमेकर व वालेंटियर ने एक मुद्दा उठाया जिले की बदहाल सड़कों का। सड़कों को लेकर पश्चिम क्षेत्र के लोग खासे आक्रोशित दिखे। सभी ने कहा कि एजेंडे में सड़क सुधार का मुद्दा होना चाहिए। लोग जानना चाह रहे थे कि सरकार व प्रशासन की ऐसी कौन सी मजबूरी है जिसके कारण सड़कों का जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है। हादसों में लोगों की मौत हो रही है बावजूद इसके सड़कों की सूरत नहीं सुधर रही है।
जिला चेंबर के पदाधिकारियों ने लुटेरों को पकडऩे सौंपा ज्ञापन, पुलिस को याद दिलाया वादा जन एजेंडा में घोषणा पत्र के विषय में चर्चा के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर व सुभाष ने कहा कि कुछ चुनावी मौसम में आते हैं और जनता से जुड़े मुद्दे उठाते हैं लेकिन चुनाव के बाद भूल जाते हैं। चेंजमेकर विशाल ने कहा कि जब जागो तभी सवेरा। हमने तो सभी राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं से भी मदद मांगी लेकिन कोई सामने नहीं आया। हम अपने स्तर पर सड़कों की सूरत सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। बैठक में चेंजमेकर ने कहा कि पत्रिका ने एक बेहतर मंच दिया कि हम लोग अपनी बात कह पा रहे हैं।
बिजली, पानी, सड़क भ्रष्टाचार व बेरोजगारी पर लंबी बहस
जनएजेंडा में चर्चा के दौरान जिले में बिजली की आंखमिचौली, स्वच्छ पेयजल और सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लंबी बहस हुई। सभी दलों के प्रतिनिधि व युवाओं ने बिजली व भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाया। अन्ना हजारे द्वारा लोकपाल बिल के लिए किए गए आंदोलन की भी चर्चा हुई। यह भी बात हुई कि लोकपाल अब भी अटका हुआ है।
-राजनैतिक दल आर्थिक, राजनैतिक व सामाजिक परिदृश्य को समझकर घोषणाएं करें, ताकि लोगों का राजनीति में विश्वास जागे। नरेश चन्द्र नरेश -घोषणा पत्र में चुनावी मुद्दे होते हैं। रिसर्च करें तो पता चल जाएगा कि जो घोषणाएं पिछले चुनाव में हुई थी। वह अब तक अधूरी हैं। सपूरन कुलदीप
-प्रतीक्षा बस स्टैण्ड को स्थापित हुए सालों बीत गए आज तक चालू नहीं कराया जा सका है। इस मुद्दे को जन एजेंडे में शामिल करें। विनय अग्रवाल -पावर प्लांट के कारण जिले की जल, वायु प्रदूषित हो रही है। इसे हर हाल में ठीक किया जाना चाहिए। सरकार चाहे कोई भी हो जिले में प्रदूषण का स्तर कम करने की बात होनी चाहिए। यह एक गंभीर समस्या है। रंजित चहल
-२०० करोड़ से ज्यादा की लागत से एजुकेशन हब का निर्माण स्याहीमुड़ी में किया गया। जिसका औचित्य साबित नहीं हो रहा है। यह क्षेत्र भी उपेक्षित है। विशाल केलकर