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बैकुंठपुर. पत्रिका डॉट काम द्वारा प्रतिदिन 'टॉपिक ऑफ द डे' का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में शहर की ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। ऐसा कुछ भी नहीं है कि इस संंबंध में विशेषज्ञ ही अपने विचार रखेंगे। अगर आपके पास भी शहर से जुड़े किसी मुद्दे पर कोई सवाल या सुझाव हो तो पत्रिका कार्यालय में संपर्क कर विचार रख सकते हैं। शहर से जुड़े सभी सरोकार को आम जनता तक पहुंचाने के लिए पत्रिका परिवार दृढ़ संकल्पित है।
पत्रिका कार्यालय बैकुंठपुर में शनिवार को गो रक्षा वाहिनी के जिलाध्यक्ष अनुराग दुबे से शहर में आवारा व पालतू मवेशियों की मौत होने के बाद दफनाने की समस्या को लेकर विशेष चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलने के कारण वर्ष 2014 में गो-रक्षा वाहिनी का गठन कर आपसी सहयोग से मृत मवेशियों को दफनाने का बीड़ा उठाया गया है।
करीब चार साल में 230मवेशियों को दफनाया जा चुका है। संगठन के सक्रिय सदस्यों की मदद से शहर सहित आसपास गांव में कहीं से मवेशी मरने की सूचना पर हम पहुंच जाते हैं और मवेशियों को गांव-शहर से दूर लेकर दफनाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन से कई बार मदद की गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन आज तक किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि एक साल पहले नगर पालिका की सामान्य सभा की बैठक में प्रस्ताव भी पारित किया गया था कि नगरीय निकाय मवेशी की मौत के बाद दफनाने का बीड़ा उठाएगा और बकायदा 500 रुपए राशि वसूलने की राशि निर्धारित की गई थी। बावजूद नगरीय प्रशासन ने आज तक एक भी मवेशी को नहीं दफनाया है।
हमने संगठन आपसी सहयोग व जेसीबी मशीन किराए से लेकर दफनाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका से हमने एक जेसीबी मशीन उपलब्ध कराने की मांग की है, जिसका संगठन की ओर से 800 रुपए किराया भी दिया जाएगा।
क्योंकि शहर की जेसीबी मशीन कंट्रक्शन कार्य में लगने के कारण समय पर नहीं मिलता है और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ महीने पहले आवारा मवेशियों के गले में बांधने के लिए 60 हजार रुपए के रेडियम पट्टा मंगाए गए थे। जिससे गो सेवा आयोग ने हर जगह लागू कर दिया है।
Published on:
20 Jan 2018 06:53 pm
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