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Trekking in Tiger Reserve: छत्तीसगढ़ के इस टाइगर रिजर्व में है भारत का पहला ट्रेकिंग ट्रैक, बन रहा ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन, दिल्ली-मुंबई से भी पहुंच रहे पर्यटक

Trekking in Tiger Reserve: हिमालय में ट्रैकिंग कराने वाली कंपनी इंडिया हाइक की मदद से पहुंच रहे पर्यटक, जंगल के बीच रिवर वॉक और मिट्टी के घर में रात गुजारने से हैं रोमांचित, वर्तमान में 20 महिला-पुरुष ट्रैकर कर रहे हैं ट्रैकिंग

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Trekking in Tiger reserve

Tourists during trekking in Tiger reserve area (Photo- Patrika)

योगेश चंद्रा/बैकुंठपुर। गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को भारत का पहला ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में डव्हलप करने का कदम उठाया गया है। इसके बाद हर साल यहां ट्रेकिंग टीम पहुंचने लगी है। यह भारत का इकलौता टाइगर रिजर्व है, जहां ट्रेकिंग ट्रैक (Trekking in Tiger Reserve) बना हुआ है। मौजूदा विंटर सीजन में 5 टीम में 100 ट्रैकर जंगल टै्रकिंग का लुत्फ उठाकर लौट चुके हैं। छठवीं टीम में 20 ट्रैकर जंगल में पड़ाव डाले हुए हैं। बता दें कि कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से करीब 90 किलोमीटर दूरी पर यह ट्रैक बना है।

हिमालय की पहाडिय़ों पर ट्रैकिंग कराने वाली कंपनी इंडिया हाइक और गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के बीच अनुबंध हुआ है। छठवी ट्रेकिंग टीम (Trekking in Tiger Reserve) 18 दिसंबर को पहुंची है, जो 20 दिसंबर को पंडोपारा में सफर समाप्त करेगी। ट्रैकिंग में कुछ ट्रैकर फैमिली लेकर पहुंचे हैं।

तीन दिवसीय ट्रैक (Trekking in Tiger Reserve) तुर्र्रीपानी, टेडिय़ा बांध, पांडोपरा मार्ग से होकर गुजरता है, जो क्षेत्र की जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराता है। इको पर्यटन गतिविधियों के कारण दिल्ली, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु सहित विभिन्न महानगरों के प्रोफेशनल एवं पर्यटक टाइगर रिजर्व की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसमें एग्री कंपनी, आईटी प्रोफेशनल, एचआर मैनेजर, डॉक्टर, स्टूडेंट्स सहित हाउस वाइफ शामिल हैं।

Trekking in Tiger Reserve: महानगरों से भी पहुंच रहे प्रोफेशनल

ट्रैक का प्रमुख आकर्षण रामगढ़ के समीप स्थित बारहमासी गोपत नदी में पैदल भ्रमण (रिवर वॉक) है, जो पर्यटकों के लिए विशेष रोमांच एवं प्रकृति से जुड़ाव का अनुभव कराता है। ट्रेकिंग(Trekking in Tiger Reserve) से प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य जीव संरक्षण के प्रति लोग जागरुक हो रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीणों को होम स्टे (मिट्टी की झोपड़ी में रात ठहराना), टूरिस्ट गाइड, परिवहन एवं अन्य सेवा के माध्यम से रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। यह पहल ईको पर्यटन एवं स्थानीय आजीविका बढ़ाने की दिशा में बेहतर कदम माना जा रहा है।

टाइगर रिजर्व प्रबंधन (Trekking in Tiger Reserve) के मुताबिक आजकल शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी में नेचर, वाइल्ड लाइफ व ट्राइबल लाइफ स्टाइल से रुबरु कराना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। जो नेचर को करीब से देख व समझ पा रहे हैं, उनके मस्तिष्क में नेचर, इंवायरमेंट, वाइल्ड लाइफ के साथ रोमांचक ट्रैकिंग और रुचि पैदा होगी।

ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में कर रहे विकसित

गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व बैकुंठपुर के डायरेक्टर सौरभ सिंह ठाकुर का कहना है कि टाइगर रिजर्व को ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर रहे हैं।

यह भारत का पहला ट्रेकिंग ट्रैक (Trekking in Tiger Reserve) है, जो किसी टाइगर रिजर्व में बना हुआ है। इस साल छठवां बैच पहुंचा है, जिसमें 20 टैकर शामिल हैं। इस विंटर सीजन में अभी तक 100 ट्रैकर लौट चुके हैं। फरवरी 2026 तक 300 से अधिक ट्रैकर आने की उम्मीद है।