
Guru Ghasidas National park
योगेश चंद्रा.
बैकुंठपुर। Tiger Reserve: गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को भारत का 53वां टाइगर रिजर्व बनाने की अनुमति मिली है, फिलहाल नोटिफिकेशन जारी करने का इंतजार है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां पर्यटन व रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगीं। वहीं चीतल के बाद 46 नग गौर लाने और एडवेंचर ट्रैकिंग (Adventure tracking) कराने की तैयारी चल रही है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथारिटी (एनटीसीए) गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने अप्रुअल मिल चुका है। जिसका एरिया 1440.57 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वर्ष 2005 के सर्वेक्षण के हिसाब से 32 प्रकार के वन्यजीव प्राणी विचरण करते हैं।
गौरतलब है कि गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और सरगुजा के तमोर पिंगला अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा। पहली बार टाइगर रिजर्व का पूरा क्षेत्रफल आया। टाइगर रिजर्व के कोर जोन में 2 हजार 49 वर्ग किलोमीटर तथा बफर जोन में 780 वर्ग किलोमीटर जंगल है।
वहीं 2 हजार 829 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल टाइगर रिजर्व का हिस्सा होगा। छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट ने वर्ष 2019 में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल नहीं था।
एनटीसीए से गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने अनुमति मिल चुकी है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, भारत का ५३वां टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आएगा। वर्तमान में चार टाइगर विचरण करते हैं। प्रदेश में तीन टाइगर रिजर्व अचाकमार, उदंती सीतानदी और इंद्रावती हैं।
जंगल में गौर भी जल्द नजर आएंगे
जानकारी के अनुसार पहले चरण में 30 नग चीतल लाए गए हैं। फिलहाल गुुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में फरवरी महीने में चीतल विचरण करते नजर आते हैं। दूसरी चरण में जल्द 150 नग चीतल लाने की तैयारी है। वहीं वन्यजीव प्राणी गौर लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। बलौदाबाजार बारनवापारा से ४६ नग गौर लाने अप्रुअल मिल चुका है। उद्यान प्रबंधन जर्जर बाड़े को संवारने में जुटा हुआ है।
करीब तीन साल पहले वन्यजीण प्राणी गौर लाकर वंशवृद्धि करने प्रोजेक्ट बनाया गया था। राज्य सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद करोड़ों खर्च कर गौर बाड़ा बनाया गया है। लेकिन पार्क परिक्षेत्र के वन अफसरों की लापरवाही के कारण गौर बाड़ा जर्जर हो चुके हैं। फेंसिंग तार व लकड़ी के खंभे टूट गए थे। अब राष्ट्रीय उद्यान में मार्च 2022 में गौर विचरण करते नजर आएंगे।
एडवेंचर को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी
राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों को लुभाने के लिए जंगल ट्रैकिंग कार्यक्रम कराई जाएगी। जिसमें देश-विदेश से करीब 100 ट्रैकर की अलग-अलग टीम फरवरी-मार्च महीने में ट्रैकिंग का लुफ्त उठाएंगी। ट्रैकिंग टीम व टूरिस्ट को गाइड करने स्थानीय युवकों को प्रशिक्षित कर रोजगार से जोडऩे की पहल की जाएगी। वर्ष 2019 में पहली बार गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में चार दिवसीय ट्रैकिंग कैंप लगाया गया था।
छत्तीसगढ़ सहित सात राज्यों के 19 ट्रैकर शामिल थे। जिनको ग्राम झांपर बीजाधुर नदी स्थान, गिधेर में कलश पहाड़, तुर्रीपानी ग्राम से टेडिय़ा बांध तक 35 किलोमीटर ट्रैक तैयार कर भ्रमण कराया गया था। भारत की सबसे बड़ी ट्रैकिंग कंपनी बैंग्लौर के सहयोग से विदेशी ट्रैकर सहित 8 सदस्यीय टीम ट्रैकिंग करने पहुंची थी।
हिमालय में टै्रकिंग कराने वाली बड़ी कंपनी इंडियन हैक्स बैंग्लौर के नेतृत्व में पहली बार विदेशी ट्रैकर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में टै्रकिंग करने पहुंचे थे। जिसमें झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, कोलकाता, आंध्रप्रदेश सहित यूके लंदन से विदेशी ट्रैकर क्लाडियो शामिल थे। ट्रैकिंग टीम का यह भारत में दूसरी ट्रैकिंग थी।
2005 में सर्वे, कुछ वन्य प्राणी
बाघ 4
तेंदुआ 45
गौर 14
चीतल 110
कुटरी 250
नीलगाय 510
बंदर लालमुंह 4775
पिग 1260
डियर 80
बिल्ली 200
लोमड़ी 220
पैंगोलीन 15
भेडिय़ा 90
नेवला 125
उदबिलाव 15
पाम सिवेट 10
गिलहरी 100
बुश रेट 250
सांभर 45
चौसिंघा 90
बंदर काला मुंह 2625
चिकारा 420
भालू 740
सियार 450
लकडबग्घा 210
खरगोश 615
शाही 210
सेंसरयुक्त हाइटेक बैरियर से गाडिय़ों की निगरानी
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा के लिए सेंसरयुक्त हाइटेक बैरियर व सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मुख्य द्वार से उद्यान में प्रवेश करने से पहले कम्प्यूटर में गाड़ी की एंट्री व डिटेल फीड होने के बाद बाहर निकलने पर हाइटेक बैरियर ऑटोमैटिक खुल जाएगा। वहीं दो कैमरे से गाड़ी की नंबर प्लेट, गाड़ी की फोटो खींचेगीं और दो कैमरे से गाड़ी की आगे-पीछे की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी।
वर्ष 2019-20 में कैंपा मद(क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) से गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य गेट सोनहत व रामगढ़ में हाइटेक बैरियर लगाने करीब 8 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। राष्ट्रीय उद्यान के बीच में रामगढ़ क्षेत्र बसा है। मुख्य गेट से रामगढ़ के बीच करीब 30 किलोमीटर की दूरी है।
इसी बीच चालक गाड़ी को स्पीड चलाते हैं। जबकि सिर्फ 20 किलोमीटर से गाड़ी की गति अधिक नहीं, हॉर्न नहीं बजाने का नियम है। इससे कई बार वन्यजीव प्राणी दुर्घटना के शिकार होते हैं। सीसीटीवी कैमरे लगने से आसानी से नजर रखी जा रही है कि मुख्य गेट से प्रवेश करने वाली गाड़ी को रामगढ़ बैरियर पहुंचने में कितना समय लगता है।
अविभाजित मध्यप्रदेश में संजय राष्ट्रीय उद्यान का था हिस्सा
गुरु घासीदास नेशनल पार्क कोरिया जिले के बैकुंठपुर सोनहत मार्ग पर पांच किलोमीटर दूर स्थित है। 2001 से पहले यह संजय गांधी नेशनल पार्क सीधी(मध्यप्रदेश) का हिस्सा था। पार्क के अंदर हसदेव नदी बहती है और गोपद नदी का उद्गम है। वनौषधियों से घिरे पार्क में बाघ, तेंदुआ, गौर, चिंकारा, मैना आदि पाए जाते हैं।
उद्यान क्षेत्र के भीतर 35 राजस्व गांव में चेरवा, पांडो, गोंड़, खैरवार व अगरिया जनजाति निवासरत हैं। टाइगर रिजर्व में शामिल होने वाले तमोर पिंगला अभयारण्य का क्षेत्रफल 608 वर्ग किलोमीटर है। अंबिकापुर से 94 किलोमीटर दूर उत्तर सरगुजा वनमंडल में संचालित है।
एडवेंचर समेत पर्यटन व रोजगार की बढ़ेंगीं संभावनाएं
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में करीब 30 की संख्या में चीतल लाए गए हैं। 150 की संख्या में और चीतल व ४६ नग गौर लाने, ट्रैकिंग कराने की तैयारी है। ट्रैकर व पर्यटकों को गाइड करने स्थानीय युवाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। टाइगर रिजर्व बनने के बाद एडवेंचर सहित पर्यटन, रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी।
आर. रामाकृष्णा वाई, डायरेक्टर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया
Published on:
14 Feb 2022 02:53 pm
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