उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने के बाद सेंटर के स्टाफ पीडि़ता महिला को कानूनी सलाह सहित 7 प्रकार की मदद करते हैं। सेंटर में बालिकाएं भी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इसके अलावा ऐसी महिलाएं जिन्हें 5 दिन तक सेंटर में रखने की सुविधा है।
खासकर गरीब महिलाओं के केस के सिलसिले में दूर-दराज से आती हैं उनको ठहराने की व्यवस्था की गई है। सेंटर में विषय विशेषज्ञ के माध्यम से काउंसिलिंग कराई जाती है। इससे पीडि़त महिला को किसी प्रकार का डर-भय नहीं रहता है और महिला सुरक्षित महसूस करती है।
वन स्टॉप सखी सेंटर में विधिक सहायता देने और मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता देने का प्रावधान है। जिससे जरूरी परामर्श से सुलझाने का प्रयास किया जाता है। सेंटर में नहीं सुलझने वाले प्रकरणों को आगे की कार्रवाई करने रेफर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक सखी सेंटर में कुल 153 प्रकरण दर्ज किए गए हैं जिसमें 100 प्रकरण का निराकरण किया जा चुका है। सखी सेंटर का कार्यालय 24 घंटे खुला रहता है। पीडि़त महिलाएं कभी भी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
घरेलू हिंसा से पीडि़त महिलाओं को स्कूल, कॉलेज सहित अन्य कार्यक्रम में जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि शहर सहित ग्रामीण अंचल में जागरुकता का अभाव है।
पीडि़त महिला को मिलती हैं ये सुविधाएं
सखी सेंटर की प्रशासक बड़ेरिया ने कहा कि हिंसा से पीडि़त महिला को अस्पताल में चिकित्सकीय सुविधाएं दिलाई जाती हैं। महिला-बालिकाओं को एफआईआर दर्ज कराने सहित अन्य सहायता, मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श, पांच दिन तक अस्थायी आश्रय देना है।
इसमें पीडि़त महिलाओं के 5 दिन तक रहने-खाने की व्यवस्था का प्रावधान है। सेंटर की खास बात यह है कि कोर्ट के प्रकरणों में बाधा रहित व शीघ्रता से कार्रवाई करने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग कराया जाता है।