
ये क्या घपला है...? यहां अमीरों के पेट में पहुंच रहा गरीबों का 15% राशन
विजय बत्रा. अन्ता. दो माह से चल रहे लॉकडाउन के बीच जहां कई जरूरतमंद लोग परिवार चलाने को तरस गए। वहीं दर्जनों ऐसे भी थे जो सम्पन्न होने के बावजूद गरीबों का हक छीनने से नहीं हिचकिचाए। राशन की दुकानों पर नि:शुल्क मिल रहे गेहूं ऐसे सैंकड़ों घरों में पहुंचे जहां अन्न की कोई कमी नहीं है। दरअसल, इन अपात्रों के नाम खाद्य सुरक्षा योजना में सूचीबद्ध हैं। दूसरी ओर जो वाकई गरीब हैं, जानकारी व जागरुकता के अभाव में अपना नाम सूची में नहीं जुड़वा सके। वे राशन के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में गरीबों के हिस्से का अधिकांश निवाला अमीरों के पेट में जा पहुंचा। राशन डीलरों के अनुसार इस सूची में पेंशनधारी, कई गाडिय़ों एवं मकानों के मालिक, सरकारी कर्मचारी तक मुफ्त का गेहूं लेने वालों की लाइन में दिखाई देते हैं। उनका कहना है कि सूची के अनुसार चयनित लोगों को राशन देना उनकी मजबूरी है। राशन डीलरों के अनुसा ऐसे अपात्रों की संख्या कस्बे में करीब 15 प्रतिशत है।
निशुल्क सामग्री बेच रहे
उल्लेखनीय है कि अप्रेल माह से अन्त्योदय योजना में प्रति कार्ड 35 किलो तथा एपीएल ओर बीपीएल में प्रति सदस्य 5 किलो गेहूं राज्य सरकार की ओर से देने के अतिरिक्त प्रधानमंत्री गरीब योजना केे तहत तीनों वर्ग में प्रति सदस्य 5 किलो गेहूं एवं मई माह से चने की एक किलो दाल नि:शुल्क दी जा रही है। जिसे लेने के लिए राशन डीलरों के लिए यहां लाइन लगती है। इनमें से कई लोग यह सामग्री घर ले जाने की जगह बीच रास्ते में ही बेच अपनी पौ बारह कर रहे हैं।
अंधा बांटे रेवड़ी अपनों-अपनों को दे
दर्जनों लोगों ने सामने आए बिना गुप्त रूप से कई जरूरतमंद परिवारों की मदद की। दूसरी ओर कुछ संस्थाओं ने पालिका को राशन किट दिए जाने के साथ अपने चहेतों की सूूची भी पकड़ा दी। ऐसे में जहां राजनीतिक रसूख वाले कई सम्पन्न लोग उपकृत हो गए और जरूरतमंद मुंह ताकता रहा। कस्बे में 9 राशन डीलर हैं। इनसे मिली जानकारी के अनुसार नि:शुल्क राशन लेने वालों में अपात्र परिवारों की संख्या लगभग 15 प्रतिशत है। वहीं कई लोगों ने पारिवारिक सदस्य की मृत्यु होने अथवा पुत्री का विवाह हो जाने के बावजूद राशन से नाम नहीं हटवाया। ऐसे में उस यूनिट का राशन भी उठाया जा रहा है। डीलरों के अनुसार राशन में अंकित प्रत्येक सदस्य को आधार कार्ड से जोड़ देने पर अपात्र लोगों को नि:शुल्क राशन योजना से बाहर किया जा सकता है।
खाद्य सुरक्षा योजना (एपीएल) में सन 2013 के बाद से जरूरतंमदंों को ऑनलाइन चिह्नित करने की प्रक्रिया है। वहीं गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों का चयन अंतिम बार 2003 में हुआ था। अन्ता कस्बेेे से 2243 परिवार चयनित हैं। इसके बाद कई लोग इस रेखा से नीचे चले गए तो कई साधन सम्पन्न हो गए। ऐसे में दोबारा सर्वे से ही वास्तविक तस्वीर सामने आ सकती है।
मनीष गौर, अधिशाषी अधिकारी, नगरपालिका, अन्ता
Published on:
18 May 2020 11:33 pm
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