
70 percent seats vacant in private engineering colleges in Rajasthan
एक ओर जहां आईआटी और एमएनआईटी में दाखिलों की तैयारी के लिए राजस्थान का नाम देश-दुनिया में मशहूर हो रहा है। वहीं दूसरी ओर सूबे के अधिकांश कॉलेजों में सन्नाटा पसरा पड़ा है। आकर्षक पैकेज देने के बावजूद इन कॉलेजों में छात्र दाखिला लेने को राजी नहीं है। जिसके चलते इस बार सिर्फ 27 फीसदी सीटें ही भरी जा सकी हैं।
इंजीनियरिंग के प्रति विद्यार्थियों का रुझान दिनों-दिन कम होता जा रहा है। जिसके चलते प्रदेश के 72 फीसदी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीटेक में 70 फीसदी से ज्यादा सीटें खाली पड़ी हैं। इन हालातों में इन कॉलेजों का संचालन करना मुश्किल होता जा रहा है। राजस्थान में 94 प्राईवेट इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। जिनमें बीटेक की 37,276 सीटें हैं। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU) की ओर से जारी किए गए राजस्थान इंजीनियरिंग एंट्रेस प्रोसेस (रीप) के आंकड़ों के अनुसार इन सीटों में से सिर्फ 10,297 पर ही दाखिले हुए है। दाखिले के मामले में इन कॉलेजों में चौंकाने वाली बात यह रही कि मैनेजमेंट कोटे की 5500 सीटों में से 2500 पर छात्रों ने आवेदन किए हैं। जिनकी प्रवेश प्रक्रिया अभी चल रही है।
13 कॉलेजों में तो खाता ही नहीं खुला
रीप के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 13 निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में तो एक भी प्रवेश नहीं लिया है। इन कॉलेजों की करीब 4 हजार सीटें खाली है। वहीं 6 एेसे कॉलेज हैं, जिनमें प्रवेश का आंकड़ा दहाई तक भी नहीं पहुंचा है। जबकि पिछले दो सालों में खुले 4 इंजीनियरिंग बारां, बांसवाड़ा, धौलपुर और करौली की ओर तो 5 फीसदी स्टूडेंट्स का ही रुझान दिखा है। इन कॉलेजों की 1134 सीटों में से केवल 56 पर ही दाखिले हुए हैं। इन हालातों में 60 कॉलेजों पर बंदी की तलवार लटकने लगी है।
सरकारी कॉलेजों के हाल भी खराब
निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की तरह ही राजस्थान के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिलों का टोटा पड़ा हुआ है। हालांकि सरकारी कॉलेजों में हालात प्राईवेट जितने बुरे नहीं हैं, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद यहां सिर्फ 58 फीसदी ही दाखिले हो सके हैं। राजस्थान में 14 सरकारी इंजीनयिरंग कॉलेज हैं। जिनमें 5860 सीटें हैं, लेकिन इस बार इनमें से सिर्फ 3421 सीटों पर ही दाखिले हो सके हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता बड़ी वजह
आरटीयू के शिक्षक इंजीनियरिंग के प्रति विद्यार्थियों की कम होती रुचि और दूसरे रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के बढ़ते क्रेज को दाखिले कम होने की वजह बता रहे हैं। जबकि डॉ. एपीजे अब्दुल कमाल टेक्नीकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. विनय पाठक इसके लिए खराब शैक्षणिक गुणवत्ता को जिम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं कि अधिकांश कॉलेजों में पर्याप्त संसाधन और अच्छे शिक्षकों की कमी है। ऐसे में बच्चों को जब क्वालिटी एज्युकेशन नहीं मिलेगी तो उनका प्लेसमेंट भी नहीं हो सकेगा और कोई भी शख्स लाखों रुपए खर्च करके बेरोजगार घूमने के लिए पढ़ाई क्यों करेगा। यही वजह है कि तमाम निजी कॉलेजों में छात्र दाखिला लेने नहीं आ रहे हैं।
Published on:
02 Sept 2017 12:23 pm
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