18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सड़ गया 7600 टन खाद, एक साल से गोदामों में दबाए बैठे थे अफसर

किसानों को बांटने के बजाय राजस्थान सहकारिता विभाग 7600 टन खाद गोदामों में दबा कर बैठ गया। साल भर पहले हुआ यह स्टॉक गोदामों पड़े-पड़े खराब हो गया।

2 min read
Google source verification
Compost Waste in Godowns at Kota, Cooperative Department Rajasthan, Rajfed, Lack of  Fertilizer in Rajasthan, Fertilizer Waste in Godowns at Kota, Rajasthan Patrika Kota, Kota Rajasthan Patrika, Latest News Kota

7600 tons Fertilizer waste in godowns

सहकारिता विभाग ने राजफेड के माध्यम से कोटा में करीब एक साल पहले अग्रिम भंडारण योजना के तहत जाम किया गया यूरिया खाद अब विभाग के लिए ही गलफांस बन गया है। सीडब्ल्यूसी, आरएसडब्ल्यूसी के गोदामों में भरे इस यूरिया व डीएपी खाद के ढेले बन गए। करीब 4 हजार 327 मीट्रिक टन यूरिया गोदामों से संभाग की ग्राम सेवा सहकारी समितियों, क्रय विक्रय सहकारी समितियों में बेचने के लिए भेजा गया, लेकिन यूरिया व डीएपी में ढेले बने होने से किसानों ने खाद को खरीदने से हाथ खड़े कर दिए। एेसे में क्रय विक्रय सहकारी समितियों, ग्राम सेवा सहकारी समितियों के भंडारों में जमा यूरिया व डीएपी रखा-रखा ढेलों में तब्दील होता जा रहा है।

Read More: Video: कोटा में पकड़े गए नकली किन्नर, कपड़े उतरवा कर लोगों ने ऐसे की पहचान

एक साल तक गोदामों में दबाकर बैठे रहे अफसर

राजफेड ने अग्रिम भंडारण योजना के तहत वर्ष 2015-16 में 12 हजार 800 मीट्रिक टन डीएपी व 12000 मीट्रिक टन यूरिया का अग्रिम भंडारण किया था। किसानों को खाद उपलब्ध कराने के लिए राजफेड ने क्रय विक्रय सहकारी समितियों व ग्राम सेवा सहकारी समितियों को खाद बेचने का दबाव बनाया, लेकिन किसानों ने खरीदने से मना कर दिया।एेसे में संभाग की सहकारी समितियों में वर्तमान में करीब 8000 मीट्रिक टन डीएपी खाद जमा है। वहीं 7 हजार 662 मीट्रिक टन यूरिया खाद का स्टॉक तो अभी भी सीडब्ल्यूसी, आरएसडब्ल्यूसी के गोदामों में भरा पड़ा है, जिसमें ढेले बन चुके हैं।

Read More: पीएम मोदी की नहीं मानी बात तो जाना पड़ा जेल, देश में पहली बार हुई ऐसी सख्त कार्यवाही

एक साल पुराना खाद खराब हो चुका

ग्राम सेवा सहकारी समिति किशनपुरा तकिया के अध्यक्ष रामगोपाल मालव ने बताया कि राजफेड को डीएपी, यूरिया की डिमांड भेजी थी। जिसने गर्मी में ही हमें खाद उपलब्ध करवा दिया। राजफेड का पूरा भुगतान भी कर दिया, लेकिन डीएपी, यूरिया दो से पांच किलो तक के ढेलों में तब्दील हो गया है। एेसे में बैग में ढेले देखते ही किसान खरीदने से मना कर देता है। एेसे में समिति के गोदाम में खाद जमा है।

Read More: शराब माफियाओं ने निकाली पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान की हवा, शौचालयों को बना दिया कच्ची शराब का गोदाम

बाहर से मंगवा रहे नीम कोटेड डीएपी यूरिया

सीडब्ल्यूसी, आरएसडब्ल्यूसी, केवीएसएस, जीएसएस गोदामों में भंडारित डीएपी, यूरिया का उठाव नहीं हो रहा। समितियों ने नीम कोटेड यूरिया की मांग आ रही है तो उन्हें बाहर से मंगवाकर डीएपी, यूरिया आपूर्ति कराया जा रहा है। राजफेड कोटा के क्षेत्रीय अधिकारी तेज सिंह निर्वाण ने बताया कि संभाग में अलवर, उदयपुर , सवाई माधोपुर से 17 हजार 400 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया बेचा जा चुका है। वहीं करीब 12 हजार 800 मीट्रिक टन डीएपी वितरित किया जा चुका है। इसमें से वर्तमान में गोदामों में मात्र 16.15 मीट्रिक टन डीएपी भंडारित है।

Read More: सरेंडर कराने के लिए पुलिस ने मांगे एक लाख, इसके बाद जो हुआ उसे देख खड़े हो गए सबके रोंगटे

कृषि विभाग पर भी बनाया था दबाव

कृषि अधिकारियों ने बताया कि जब राजफेड से यूरिया नहीं बिक पाया तो मुख्यालय स्तर पर कृषि विभाग के अधिकारियों पर यूरिया व डीएपी खाद बिकवाने का दबाव बनाया गया लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी, पर्यवेक्षकों ने भी यह जिम्मेदारी हाथ में लेने से मना कर दिया। एेसे में अब यूरिया की मांग, आपूर्ति की मॉनिटरिंग राजफेड जयपुर मुख्यालय से ही की जा रही है।