
CRPF Commandant Chetan Cheeta will come Kota
जांबाज सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता सरहद और जिंदगी की जंग जीतने के बाद शुक्रवार को पहली बार कोटा आएंगे। वे करीब दो बजे वाया जयपुर होकर विमान से हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे। उनके कोटा आगमन को लेकर शहर में अपार उत्साह है। विभिन्न संगठनों की ओर से उनका अभिनंदन किया जाएगा। शहीद स्मारक पर तिरंगा फहराया जाएगा।
गोलियों की बौछारों के बाद भी लड़ते रहे
14 फरवरी की शाम को कमांडेंट चेतन चीता रात 3.30 बजे टीम लीड करते हुए आतंकियों को पकडऩे निकल पड़े। कश्मीर की बांदीपुरा घाटी में हुई मुठभेड़ में सेना ने तीन आतंकियों को मार गिराया। 30 गोलियां एक साथ चेतन की तरफ आईं और उनके शरीर को छलनी कर दिया। इसके बावजूद चेतन ने आतंकवादियों से लड़ते हुए 16 राउंड फायर किया। चेतन ने दो दुर्दांत आतंकियों को ढेर कर दिया था।
देश की दुआएं रंग लाईं
मुठभेड़ में एक गोली चेतन के सिर में लगी, जो सिर की हड्डी को चीरकर दाई आंख से निकलते हुए गाल को फाड़कर निकल गई। इस गोली ने ब्रेन को टच किया, जिससे ब्रेन के एक हिस्से को चोट पहुंची। एक गोली दाएं हाथ में, एक बाएं हाथ में, एक दाएं पैर में और दो गोलियां कमर के निचले हिस्से में लगी। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी। उन्हें एयर लिफ्ट कर दिल्ली एम्स लाया गया। जब चिकित्सकों को भी चीता के बचने की उम्मीद नहीं थी तब उनकी मां सुभद्रा चीता ने पत्रिका से कहा था कि उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा है कि चेतन जल्द स्वस्थ होकर कोटा आएगा। देशभर से मिली दुआओं और मां का भरोसा जीता और चीता सकुशल रहे।
रक्तदान से करेंगे अभिनंदन
गोलियों से छलनी शरीर के साथ करीब 8 महीने में जिंदगी की जंग जीतने के बाद भी चेतन चीता में अभी भी वही जोश और देशभक्ति का जज्बा बरकरार है। चीता के कोटा आने पर भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर सांसद ओम बिरला की पहल पर रक्त से अभिनंदन किया जाएगा। स्टेशन स्थित उपहार सुपर मार्केट के बाहर भाजपा कार्यकर्ता सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक रक्तदान करेंगे। वहीं हाड़ौती नव निर्माण परिषद की ओर से भी चीता का अभिनंदन किया जाएगा।
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बचपन से ही निडर
मां सुभद्रा चीता के अनुसार, चेतन को शुरू से वर्दी की नौकरी पसंद थी। इतना ही नहीं 13 साल की उम्र में उन्होंने स्कूटर और कार चलाना सीख लिया था। कोटा में सेंटपॉल स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। चेतन के तीन दोस्त भी सीआरपीएफ में तैनात हैं। कश्मीर में पोस्टिंग से पहले वे हैदराबाद, शिवपुरी और रांची में भी तैनात रहे। उनके पिता रामगोपाल चीता के अनुसार, चेतन ने प्रशासनिक सेवा के बजाय सुरक्षा बल में करियर अपनी मर्जी से चुना। उनके पास प्रशासनिक सेवा में जाने का अवसर था, लेकिन उन्हें सेना से ही लगाव था।
Published on:
01 Dec 2017 08:42 am
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