ठोस कार्रवाई के अभाव में अब यह जमीन यूआईटी के हाथ से खिसकने के कगार पर पहुंच चुकी है। राजस्व विभाग ने दो जून 2009 को अधिसूचना जारी कर लखावा गांव की 109.56 हैक्टेयर, खेड़ा जगपुरा की 159.01 हैक्टेयर, नयागांव की 21.66 हेक्टेयर, रोजड़ी की 167.17 हैक्येटर और फूटा तालाब गांव की 8.26 हैक्टेयर सिवायचक और चरागाह की जमीन यूआईटी को आवासीय और अन्य विकास योजनाएं विकसित करने के लिए दी थी।
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जिला कलक्टर ने 16 फरवरी 2010 को यह जमीन न्यास को हस्तांतरित कर दी। कागजी कब्जा लेने के बाद आधी से ज्यादा जमीन पर तो न्यास अधिकारियों की नजर ही नहीं पड़ी। हो गए कब्जे जमीन हस्तांतरित होने के बाद न्यास अधिकारियों ने मौके पर जाकर कब्जा नहीं लिया। इस लापरवाही का न्यास को बड़ा खामियाजा उठाना पड़ा।
रोजड़ी और नयागांव की अधिकांश जमीन के साथ-साथ लखावा, खेड़ा जगपुरा और फूटा तालाब के कुछ हिस्से पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया। पहले तो उन्होंने जानवरों के लिए बाड़े बनाए और फिर जब सालों तक कोई खाली कराने नहीं आया तो मकान खड़े कर लिए। न्यास अधिकारियों की अनदेखी के चलते बीते आठ साल में 1500 बीघा से ज्यादा जमीन अवैध कब्जा हो गया।
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नहीं की ठोस पैरवी
सरकार के निर्देश पर अवैध कब्जा हटाने के लिए बीच-बीच में कार्रवाई भी हुई, लेकिन अवैध कब्जा करने वालों के तीखे विरोध के चलते अतिक्रमण निरोधक दस्ता अमूमन वापस ही लौटा। इस बीच करीब दो दर्जन बड़े अवैध कब्जेदारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज करा कर मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
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फिर शुरू हुई कोशिश
न्यास के आला अधिकारियों ने 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की कीमत की इस जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए अब फिर से कोशिशें शुरू की हैं, लेकिन बड़ी कार्रवाई की आशंका के चलते अतिक्रमियों ने लामबंदी शुरू कर दी है।
यूआईटी चेयरमैन आरके मेहता ने कहा, हाईकोर्ट के आदेशानुसार सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त किया जा रहा है। बावजूद इसके यदि किसी को यूआईटी की कार्रवाई से कोई शिकायत होगी तो उसका भी समाधान कराया जाएगा।