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कोटा में भी 15 दिनों में 2 बार बन चुके बूंदी जैसे हालात

कोटा. जिस तरह से बूंदी की अदालत में पेशी पर आए कैदी पर तीन बदमाशों ने फायर किया और भाग गए। उसी तरह के हालात कोटा में भी दो बार बन चुके हैं।

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कोटा

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abhishek jain

Dec 06, 2017

Gangwar

कोटा .

जिस तरह से मंगलवार को बूंदी की अदालत में पेशी पर आए कैदी पर तीन बदमाशों ने फायर किया और भाग गए। हमले में गम्भीर घायल कैदी को पहले कोटा व देर रात को जयपुर रैफर कर दिया। उसी तरह के हालात एक पखवाड़े के भीतर कोटा में भी दो बार बन चुके हैं। लेकिन गनीमत रही कि समय पर पुलिस की सतर्कता से दोनों बार कोई घटना नहीं हो सकी।

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झालावाड जिले में 6 मार्च 2015 को हुई उमेश वाल्मीकि की हत्या का मामला वहां से स्थानांतरित होकर कोटा की एससी एसटी अदालत में विचाराधीन है। यहां इस मामले में 20 नवम्बर को सुनवाई थी। जिसमें आरोपित नीलम मीणा को चितौड जेल से पेश करना था। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के बड़ी संख्या में हथियार बंद लोग अदालत परिसर पहुंच गए थे। जिससे वहां काफी गहमा-गहमी हो गई। दोनों पक्षों के आमने-सामने होने से आपस में झगड़े की आशंका को देखते हुए नयापुरा पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझाइश की। लेकिन इसके बाद भी वे अदालत के बाहर से नहीं हटे तो पुलिस दोनों पक्षों के 12 जनों को पकड़कर थाने ले गई। पुलिस ने सभी को शांतिभंग में गिरफ्तार किया था।

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इसी तरह के हालात एक बार फिर से 1 दिसम्बर को बने जब लाला बैरागी हत्याकांड मामले में सुनवाई होनी थी। उद्योग नगर थाना क्षेत्र में करीब 9 साल पहले हुए लाला बैरागी हत्याकांड मामले में पेशी पर आए गवाहों को धमकाने को लेकर अदालत परिसर में दोनों गुटों में जमकर धक्का-मुक्की व मारपीट हुई। माहौल बिगडने पर भारी पुलिस जाप्ता अदालत पहुंचा जिससे परिसर पुलिस छावनी बन गया। पुलिस ने 17 जनों को शांतिभंग में गिरफ्तार किया था। अब इस मामले में अगले माह सुनवाई होगी। यदि दोनों बार पुलिस समय पर नहीं पहुंची और दोनों गुटों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करती तो बूंदी से पहले इस तरह के हालात कोटा में भी बन सकते थे। इन दोनों मामलों व बूंदी में हुई घटना के बाद अब पुलिस अधिकारी सतर्क हो गए हैं।

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वकील से ही चुकी है मारपीट

गत दिनों अदालत परिसर में ही एक वरिष्ठ वकील से भी मारपीट हो चुकी है। उसमें मारपीट करने वाले नामजद पक्षकार ही होने से उन्हें पकडऩे में असानी रही लेकिन यदि अनजान व्यक्ति मारपीट कर भाग जाता तो पुलिस के लिए उन्हें पकडऩा भी मुश्किल हो जाता।

अदालत परिसर में नहीं हैं सीसीटीवी कैमरे

जिस तरह से सीसीटीवी कैमरों के अभाव में बूंदी की अदालत में फायरिंग की घटना के बदमाशों का पता लगाने में परेशानी हो रही है। उसी तरह की स्थिति कोटा की अदालत की भी है। यहां भी अदालत परिसर में एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं है। जबकि अभिभाषक परिषद की ओर से पूर्व में भी कई बार परिरस में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की जाती रही है। अभी वकील से मारपीट मामले में एसपी से मुलाकात करने गए परिषद के प्रतिनिधि मंडल ने फिर से इस मांग को दोहराया था।