
डॉ. राशि का सम्मान
कोटा . शादी से एन पहले दहेज में एक करोड़ रुपए की मांग करने वाले ग्वालियर निवासी डॉ. सक्षम के परिवार (वर पक्ष) को पूछताछ के लिए पुलिस कोटा बुलाएगी। वहीं कायस्थ समाज की ओर से मंगलवार को डॉ. राशि सम्मान भी किया गया। आरकेपुरम् निवासी डॉ. अनिल सक्सेना की पुत्री डॉ.राशि का विवाह ग्वालियर निवासी डॉ. सक्षम से तय हुआ था। फेरों से एन पहले वर पक्ष के एक करोड़ रुपए की मांग करने पर डॉ. राशि ने ऐसे परिवार में शादी नहीं करने का निर्णय करते हुए बारात को बैरंग लौटा दिया। उनका कहना है कि ऐसे परिवार को सख्त सजा मिलनी चाहिए जिससे किसी दूसरे के साथ वे दोबारा से ऐसा नहीं कर सकें। मामले को लेकर डॉ. अनिल सक्सेना ने वर पक्ष के डॉ. सक्षम समेत उनके परिवार के ५ जनों के खिलाफ नयापुरा थाने में परिवाद दिया था। थानाधिकारी हरीश भारती ने बताया कि मामले में पहले वधू पक्ष के बयान लिए जाएंगे। इसके बाद वर पक्ष को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। यदि वे बुलाने पर नहीं आएंगे तो पुलिस उन्हें लेकर आएगी।
बेटियों के लिए उदाहरण
नेत्र सर्जन डॉ. विदुषी पाण्डेय ने कहा कि डॉ. राशि ने दहेज लोभी दूल्हे व बारात को जिस साहस के साथ लौटाया, यह समाज के लिए एक उदाहरण है। अब समय आ गया है कि दहेज लोभियों का हर स्तर पर बहिष्कार किया जाए। यदि बेटियां ऐसा कदम उठा सकें, तो यह बुराई समाप्त हो जाएगी। कायस्थ समाज की ओर से मंगलवार को डॉ. राशि सक्सेना के घर जाकर उनका अभिनन्दन किया गया। महिला जिलाध्यक्ष डॉ. रेणु श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ. राशि ने दहेज लोभियों को सबक सिखा कर बड़ा उदाहरण पेश किया है। समाज अपनी बेटी के इस जज्बे को सलाम करता है। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप माथुर, डॉ. विवेक सक्सेना, नीरज कुलश्रेष्ठ, नरेश भटनागर व सुनील भटनागर समेत कई लोग मौजूद थे।
शब्दों के माध्यम से किया सम्मान
शहर के साहित्यकार और कवियों ने शब्दों के माध्यम से बहादुर बेटी डॉ. राशि का सम्मान किया। साहित्यकार राम नारायण हलधर ने लिखा है कि... ओ राशि
-तुम्हारे साहस को लिखने लिए,
एक कवि की सम्पूर्ण सामर्थ्य,
आज अक्षम जान पड़ती है,
एेन वक्त पर,
रिश्तों के निर्मम व्यापारियों से,
सम्बन्ध तोडऩे का निर्णय,
कितना मुश्किल रहा होगा
तुम्हारे लिए
किसी जंग से कम नहीं रहा होगा,
तुम्हारे हृदय और मस्तिष्क का अंतद्वंद,
तुम्हारे अरमान
रक्त-धाराएं बनकर बह गए होंगे
भावी जीवन के सपने आंखों से,
तुम्हारी हथेलियों की मेहंदी
धुल गई होंगी,
क्रोधित समंदर की विशाल लहरों से
ओ राशि!
तुमने केवल अपनी शादी से
इनकार मात्र नहीं किया,
तुमने
फेंकी है,
लालच और स्वार्थ से निर्मित
विशाल कूड़े के पहाड़ में
एक तेज चिंगारी तुम्हारे
पिता की हिम्मत ने
असंख्य मजबूर पिताओं की
मोतियाबिंदी आंखों में,
रोशन कर दिए हैं...
उम्मीदों के चिराग तुम्हारी
जननी के साहस ने
दरिद्रता से अभिशप्त
मांओं के हृदय में,
बीजारोपण किया है
वरदान की संभावनाओं का
ओ राशि!
शायद तुम नहीं जानती,
तुम्हारे त्याग और समर्पण की इस उर्वरा जमीन में
अंकुरित होने लगी हैं
असंख्य 'राशियां'
शत-शत वंदन
वाह! मेरी कोटा की बहना
तेरा भी क्या कहना है
दुल्हन कोई आज तलक
न पहनी ऐसा गहना है
समाज के सीने पर गड़ा
जो दंश दहेज का काला है
वाह चिकित्सक बन कर
तूने क्या इलाज कर डाला है
यदि तू ऐसा न करती
शायद बन मोम पिघल जाती
या दहेज की अग्निशिखा में
किसी रोज तू जल जाती
जिन जिन वीर बेटियों ने
पहले भी ऐसा काम किया
तूने उन सब वीर बेटियों का
फिर से सम्मान किया
इसीलिए उन सारी बहनों संग
तेरा अभिनंदन है
वीर योद्धा की भांति ही
तेरा शत शत वंदन है।।
प्रशांत टेहल्यानी, कवि
Updated on:
06 Dec 2017 04:59 pm
Published on:
06 Dec 2017 03:34 pm
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