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Holi 2023: होली का डांडा रोपण 5 फरवरी को, यह है प्राचीन परम्परा

माघ माह की पूर्णिमा पर 5 फरवरी को होली का डांडा रोपण के साथ राजस्थान में फाल्गुन की बयार बहना शुरू होगी। मंदिरों में पूर्णिमा पर धार्मिक आयोजन होंगे।

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कोटा

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Santosh Trivedi

Feb 03, 2023

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सुल्तानपुर (कोटा) । माघ माह की पूर्णिमा पर 5 फरवरी को होली का डांडा रोपण के साथ राजस्थान में फाल्गुन की बयार बहना शुरू होगी। मंदिरों में पूर्णिमा पर धार्मिक आयोजन होंगे। भगवान को नवीन पोशाक धारण कराकर पुष्पों से शृंगार और भोग लगाया जाएगा। इस बार माघ शुक्ल पूर्णिमा पर रवि पुष्य नक्षत्र का योग बना है। सभी जगह 5 फरवरी को होली का डांडा रोपण होगा।

बरसों पहले डांडा रोपण के साथ होली का त्योहार पूरे महीने मनाया जाता था। अब दो दिन ही धूम रहती है। फाल्गुन माह की शुरूआत 6 फरवरी से होगी। शहर सहित ग्रामीण इलाकों के मंदिरों, उद्यानों और सामाजिक संस्थानों में फागोत्सव शुरू हो जाएंगे। कई मंदिरों में श्रद्धालु अबीर-गुलाल व फूलों के साथ ठाकुरजी के संग होली खेलेंगे। भजन कीर्तन के कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे।

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अरंड-गुलर की सूखी लकड़ी शुभ:
पंडित नितिन शर्मा ने बताया कि बिना पर्यावरण को क्षति पहुंचाए होली का त्योहार मनाना ज्यादा शुभ फलदायी होता है। अरंडी अथवा गुलर की सूखी लकड़ी का डांडा रोपा जाना चाहिए। जो लोग इस दिन डांडा नहीं रोपते, वे होलिका दहन कंडों से करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर सकते हैं। गीली लकड़ी काटने से ग्रहों की चाल बिगड़ने का खतरा रहता है।

भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है डांडा:
पंडित जुगलकिशोर शर्मा के अनुसार परंपरानुसार जिस स्थान पर होली दहन होता है, वहां डांडा रोपा जाता है। यह भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है। होलिका दहन के दौरान इसे सुरक्षित निकाल लिया जाता है। इस बार भी होली का डांडा रविवार को माघ शुक्ल पूर्णिमा पर सुबह 9 से 12 बजे, शाम 6 से 9 बजे तक रोपा जा सकेगा।