11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Human Angle Story: हे भगवान! जिसने दिया जन्म उसी मां को कोठरी में बंद कर छोड़ा सडऩे-मरने

कोटा. वृद्धावस्था में जब औलाद ही साथ छोड़़ दे तो बूढ़े मां-बाप के मुख से अनायास यही लब्ज निकलते हैं कि 'हे भगवान, ऐसी औलाद तो मत देना।

3 min read
Google source verification

कोटा

image

abhishek jain

Jan 12, 2018

Mother

कोटा .

औलाद की चाह में माता-पिता देवी-देवताओं के देवरे ढोकते हैं। बड़ी मुश्किल से घर में किलकारियां गूंजती हैं, लेकिन वृद्धावस्था में जब औलाद ही साथ छोड़़ दे तो बूढ़े मां-बाप के मुख से अनायास यही लब्ज निकलते हैं कि 'हे भगवान, ऐसी औलाद तो मत देना।' ऐसा ही हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला कनवास थाने से महज 100 कदम दूर, जहां 70 साल की मां को दो बेटों ने 3 साल से काली कोठरी बंद कर रखा था। मां को पड़ौसी खाना देते थे तो खा लेती थी। जिस दिन भोजन नहीं मिलता, भूखे ही रहती, आंसू बहाती रहती। अज्ञात जने सूचना पर ह्यूमन हेल्प लाइन व अपना घर आश्रम के सदस्यों ने गुरुवार को कनवास थाने पहुंच कर वृद्धा को कोठरी से निकाल अपना घर आश्रम में आश्रय दिया।

Read More: बूंदी बवाल को लेकर विहिप ने किया ऐलान, आज हाडौती बंद, जानिए क्या-क्या होगें बंद

कनवास थानाधिकारी श्यामाराम ने बताया कि गुरुवार को अपना घर आश्रम के सदस्य मनोज जैन आदिनाथ, अब्दुल, महिला कर्मचारी, एम्बुलेंस चालक लाल सिंह के साथ आए। इन्होंने 70 वर्षीय पानाबाई को बेटों द्वारा खटीक मोहल्ले में स्थित पुश्तैनी मकान के कमरे में 3 साल से बंद करके रखने की सूचना दी। साथ ही वृद्धा को आजाद कराने के लिए पुलिस सहयोग मांगा। इस पर एएसआई कमलेश शर्मा के नेतृत्व में पुलिस जाब्ता उपलब्ध कराया। अपना घर सदस्यों ने महिला को आजाद कराकर आश्रम पहुंचाया।

Read More: ये कैसा भाई, रक्षा करने की जगह बहन को मारे चाकू

दुर्गंध, मल-मूत्र से अटी थी कोठरी
अपना घर सदस्यों ने बताया कि जब टीम पुलिस के साथ खटीक मोहल्ले में पहुंची तो पड़ोसियों में से कोई भी कमरे का ताला खोलने को तैयार नहीं हुआ। आश्रम के सलाहकार मनोज ने ताला खोला तो वृद्धा बेसुध पड़ी थी। 10-12 फीट के कमरे में चहुंओर मल-मूत्र फैला था। ओढऩे-बिछाने को मात्र एक शॉल व फटे-पुराने बिस्तर थे। ये भी मैले कुचेले। महिला का शरीर मल-मूत्र से सना था। शरीर से दुर्गंध आ रही थी।

Read More: चलो कि‍सी को तो भगवान का डर है, मंदि‍र में घुसे चोर उल्टे पांव लौटे

बांट लिया मां-बाप को
जानकारी पर पता चला कि पानाबाई के पति के पास 70 बीघा जमीन, पुश्तैनी मकान था। इनके दो बेटे हैं। दोनों ने 70 बीघा जमीन का बंटवारा कर लिया। जब माता-पिता की सार-संभाल की बारी आई तो एक बेटे बनीराम ने पिता तो दूसरे बेटे नरेंद्र ने मां की जिम्मेदारी ली। पिता की मौत के बाद बनीराम ने मां की तरफ देखना भी मुनासिब नहीं समझा।

मां को छोड़ जा बसा झालावाड़
मां की जिम्मेदारी लेने वाले बेटे नरेंद्र की पत्नी की बतौर सरकारी शिक्षिका नौकरी लगी तो वह तीन साल पहले परिवार सहित झालावाड़ में जा बसा। नरेंद्र की पत्नी मनोहरथाना के एक सरकारी विद्यालय में पदस्थापित हैं। वह खुद झालावाड़ में ही निजी व्यवसाय करता है।

Read More: बडे भाई ने टोका तो ले ली छोटे भाई की जान, अब भुगतेगा उम्रकैद की सजा

नहीं आया दूसरा बेटा...
जब अपना घर आश्रम की टीम वृद्धा पाना बाई के मैले-कुचेले कपड़े बदल रही थी, शरीर को साफ कर रही थी, टीम सदस्यों ने बेटे बनीराम को बुलाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह नहीं आया।

वो कुछ दिन की मेहमान, मेरी पूरी जिन्दगी पड़ी
नरेंद्र, मां की जिम्मेदारी वाला बेटा (जैसा कि उसने फोन पर अपना घर टीम सदस्यों को बताया) का कहना है कि मां का शरीर काम नहीं करता। वह तो कुछ दिनों की मेहमान है, हमारी तो पूरी जिंदगी है। उसके चक्कर में हमारी जिंदगी खराब थोड़े ही करेंगे। अभी मेरा बेटा भी छोटा है। पत्नी नौकरी करती है। ऐसे में बेटे को संभालूंगा या मां को। मां के खाने की हमने पड़ोसियों के माध्यम से व्यवस्था करवा रखी है। भूखे तो रह नहीं रही। एक बेटा होने के नाते और क्या कर सकते हैं।'