
कोटा .
स्वच्छ भारत मिशन के तहत भारत सरकार ने भले ही कोटा जिले को खुले में शौचमुक्त घोषित कर दिया हो, लेकिन हकीकत से यह कौंसो दूर है। निगम क्षेत्र में अभी लक्ष्य से आधे भी शौचालय नहीं बने हैं। शहरी क्षेत्र को ओडीएफ घोषित करने में अभी समय लगेगा।
निगम की रिपोर्ट के अनुसार दिसम्बर तक निगम क्षेत्र में 4680 शौचालय का निर्माण हुआ है, जबकि शहर में 12 हजार परिवार शौचालय विहीन है। इसमें अभी तक नगरीय क्षेत्र ओडीएफ घोषित नहीं हुआ है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि मार्च तक शहरी क्षेत्र को ओडीएफ करने का लक्ष्य रखा गया है। निगम की ओर से शहर में शौचालय बनाने के लिए आवेदन भी मांगे जा रहे हैं। इसके लिए निगम में विशेष सेल का गठन किया गया है।
बजरी संकट से अटक गए 2000 शौचालय
पिछले दिनों निगम की निर्माण समिति की हुई बैठक में अभियंताओं ने रिपोर्ट दी थी कि बजरी संकट के कारण दो हजार शौचालय का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। आयुक्त की ओर से ठेकेदारों को शौचालय निर्माण में देरी पर ब्लैकलिस्टेट के नोटिस थमा दिए थे, लेकिन निर्माण समिति ने कहा था कि बजरी नहीं होने के कारण कैसे शौचालय बनाए जाएंगे। इसके बाद ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
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3000 की सूची गायब
नगर निगम प्रशासन स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय बनाने में नाकाम साबित हुआ है। निगम साल पहले निगम ने शहर में 15000 घरों में शौचालय नहीं होने के रिपोर्ट सरकार को भेजी थी। लेकिन बाद में इस रिपोर्ट को अधिकारियों ने बदल दिया और शौचालय विहीन घरों की संख्या घटाकर 12 हजार कर दी गई थी, लेकिन दिसम्बर तक यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया है।
पार्षदों पर दबाव
स्वच्छ भारत मिशन में वार्डों को ओडीएफ बनाने के लिए निगम की ओर से पार्षदों पर भी जबर्दस्ती दबाव बनाया गया था, अपना वार्ड ओडीएफ घोषित करने के लिए पार्षदों से निगम ने जबर्दस्ती हस्ताक्षर करवाए, एक दर्जन पार्षदों ने भी बिना शौचालय के निर्माण के हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है।
प्रतिपक्ष नेता अनिल सुवालका का कहना है कि अभी मेरा वार्ड ही ओडीएफ नहीं हुआ है। वार्ड में कई जगहों पर शौचालय अधूरे पड़े हैं। अधिकारी कागजों में ही वार्डों को ओडीएफ दिखवा रहे है जो गलत है।
Published on:
09 Jan 2018 06:14 pm
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