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‘मेरा इतना मजबूत कलेजा नहीं कि अपने बच्चे के हॉस्टल से गिरने का वीडियो देख सकूं’

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी निवासी देबोजित भट्टाचार्य के घर का इकलौता चिराग ईशानांशु अब बुझ गया है। इस सच को स्वीकार करने कि हिम्मत कोटा आए माता-पिता में नहीं है।

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कोटा

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kamlesh sharma

Feb 05, 2023

kota student dies from 6th floor update news

कोटा। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी निवासी देबोजित भट्टाचार्य के घर का इकलौता चिराग ईशानांशु अब बुझ गया है। इस सच को स्वीकार करने कि हिम्मत कोटा आए माता-पिता में नहीं है। शुक्रवार दोपहर पोस्टमार्टम के दौरान नम आंखों में बेटे के दुनिया से जाने का गम छिपाते हुए पिता ने पहला शब्द ही यह कहा कि उनके पास इतना कलेजा नहीं कि वह बेटे के हॉस्टल के छठे माले से गिरने का सीसीटीवी फुटेज देख पाएं। किसी भी परिजन ने वह फुटेज नहीं देखा।

मोर्चरी के बाहर पिता ने कहा कि नियति को यही मंजूर था, लेकिन हॉस्टल संचालकों को उनके यहां रहने वाले छात्र-छात्राओं की निगरानी तो करनी चाहिए। साथ ही, हॉस्टलों में सीसीटीवी के साथ सुरक्षा के कड़े उपाय करने चाहिए। देबोजित ने हॉस्टल में वह बालकनी भी देखी, जहां से उनका पुत्र गिरा। इस बारे में उन्होंने कहा कि बालकनी में एल्यूमिनियम का फ्रेम लगा है, जिमसें एल्यूमिनियम की ही जाली लगी है। यह फ्रेम बहुत ही कमजोर है। तीन फीट के करीब एक हिस्सा टूटा और वहां से ईशानांशु गिरा। परिजन शव को वाहन से दिल्ली लेकर जाएंगे, उसके बाद फ्लाइट से जलपाईगुड़ी लेकर जाएंगे।

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जेईई मैन की भी तैयारी कर चुका था
छात्र ईशानांशु का एक दिसम्बर को जन्मदिन था। उसकी इच्छा अपने परिवार के साथ जन्मदिन मनाने की थी। इसलिए परिजन उसे लेकर घर भी गए थे। वहां जन्मदिन मनाया। ईशानांशु 17 दिसम्बर को वापस कोटा आया था। पिता ने बताया कि पुत्र पढ़ाई में होशियार था। इस कारण सबका चहेता था। उसने नीट के अलावा जेईई मैन की भी तैयारी की थी। उसके लिए इंजीनियरिंग में जाने के रास्ते भी खुले थे। माता-पिता उसकी पढ़ाई को लेकर खुश थे। छात्र ईशानांशु की बड़ी बहन है, जबकि पिता का जलपाईगुड़ी में किराना का होलसेल का काम है।

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चारों छात्र थे अच्छे दोस्त
हॉस्टल संचालक राजीव ने कहा कि ईशानांशु हॉस्टल के चौथे माले पर रहता था। वह गुरुवार रात छठे माले पर रहने वाले शिवम, अभिषेक व एक और छात्र के साथ बात कर रहा था। तीनों-चारों अच्छे दोस्त थे। इससे पहले उन्होंने 9.30 बजे करीब सभी छात्रों के साथ भोजन किया था। छात्रों का हॉस्टल में भोजन बनता है। तब उन्होंने छात्रों से जल्द भोजन करने को कहा था। संचालक ने यह बात स्वीकार की है कि बालकनी में एल्यूमिनियम के फ्रेम में हल्की जाली लगी है।

‘प्राथमिक इलाज मिलता तो संभवत: बच जाता’
बालकनी में फर्श पर प्लास्टिक की चटाई थी। छात्र खड़े हुए और बाहर निकलने लगे तब ईशानांशु चप्पल पहनने के दौरान स्लिप हुआ और जाली तोड़ता हुआ हॉस्टल से नीचे गिरा। गिरकर वह लहूलुहान हो चुका था। संचालक ने बताया कि उसे लेकर पहले पास ही एक निजी अस्पताल में गए थे, लेकिन उन्होंने उसे भर्ती करने से मना कर दिया। राजीव के अनुसार तब उसकी सांस चल रही थी, उस वक्त उसे प्राथमिक इलाज मिलता तो संभवत: वह बच सकता था। उस अस्पताल के बाद तलवंडी स्थित निजी अस्पताल लेकर गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया।