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दुर्घटना के भय से हाइवे पार कर स्कूल नहीं जाते कच्ची बस्ती के 28 बच्चे

locationकोटाPublished: Jul 03, 2019 12:57:14 am

मंगलवार को जहां प्रदेश भर में शिक्षा विभाग प्रवेशोत्सव और सामुदायिक बाल सभाओं के जश्न में डूबा था, इसी बीच पत्रिकाडॉटकॉम पहुंच गया कोटा जिले के सुल्तानपुर कस्बे की एक कच्ची बस्ती में।

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सुल्तानपुर. कच्ची बस्ती में शिक्षा से वंचित बच्चे व उनके अभिभावक।

कोटा/सुल्तानपुर.

राजस्थान सरकार के निर्देशों पर मंगलवार को जहां प्रदेश भर में शिक्षा विभाग प्रवेशोत्सव और सामुदायिक बाल सभाओं के जश्न में डूबा था, बच्चों को स्कूल से जोडऩे के गगनचुंबी भाषण हो रहे थे, सरकारी नीतियों के कशीदे पढ़कर सफलताओं का लोहा मनवाया जा रहा था, इसी बीच पत्रिकाडॉटकॉम पहुंच गया कोटा जिले के सुल्तानपुर कस्बे की एक कच्ची बस्ती में। आखिरी छोर तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के लिए सरकार के संकल्पों की पोल खेल रही है कस्बे की यह कच्ची बस्ती। सर्वशिक्षा अभियान कार्यालय से महज 200 कदम दूर इस बस्ती में 28 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। बस्ती में गरीब तबके के, खासकर कालबेलिया, गाडिया लुहार और मेहनत मजदूरी करने वाले परिवार रहते हैं।
कचरा बीनने में गुजरता दिन-
बस्ती में जाने पर आपको कई बच्चे कचरे के ढेर में ‘रोजी-रोटीÓ तलाशते नजर आ जाएंगे। सुबह से शाम तक इनका बचपन गंदगी के ढेर पर कचरा बीनने में गुजरता है। बस्तीवासी लाड बाई, बादाम बाई व कजोड़मल ने बताया कि यहां 28 से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। कई बार बच्चों का विद्यालय में नामांकन भी कराया गया लेकिन दूरी अधिक होने के चलते एक भी बच्चा स्कूल नहीं गया।
पढऩा चाहते हैं लेकिन दूरी अधिक है –
बस्ती वालों और बच्चों से बातचीत में सामने आया कि बच्चे पढऩा लिखना चाहते हैं लेकिन सरकारी विद्यालय बस्ती से डेढ़ किलोमीटर दूर है। वहां जाने के लिए स्टेट हाइवे से गुजरना पड़ता है। दुर्घटना की आशंका के चलते ये छोटे बच्चों को स्कृल नहीं भेजते।

बहुत दूर है स्कूल, बस्ती में खुले

बस्तीवासी बादाम बाई स्पष्ट कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, दो बार विद्यालय में नाम भी लिखाया लेकिन बस्ती से सरकारी विद्यालय डेढ़ किलोमीटर दूर है जहां सड़क भी बीच में पड़ती है। इसके चलते बच्चों ने एक-दो दिन जाकर विद्यालय छोड़ दिया। यहीं विद्यालय खुल जाए तो राहत मिले। पिछले साल मांग की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ।
बस्ती का ही बच्चा राहुल अपने सपने सामने रखता हुआ कहता है कि अन्य बच्चों की तरह मैं भी पढऩा चाहता हूं। स्कूल में नाम भी लिखवाया था लेकिन काफी दूर होने से घर वाले स्कूल ही नहीं भेजते हैं। बारिश में तो बस्ती से बाहर निकलना भी दूर्भर हो जाता है। बस्ती में ही विद्यालय खुल जाए तो जाएंगे।
अस्थाई स्कूल की कोशिश करेंगे

मामले में जब पत्रिकाडॉटकॉम ने बीईईओ,सुल्तानपुर सुल्तानपुर अंजू जागीरिवाल से चर्चा की तो उन्होंने भी स्वीकारा कि कच्ची बस्ती में दर्जनों बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। वे कहती हैं कि इन बच्चों का हर वर्ष हम नामांकन दर्ज करते हैं लेकिन दूरी अधिक होने व बस्ती में विद्यालय खोलने की मांग को लेकर बच्चे नहीं जाते। बस्ती में विद्यालय खोलने का पत्र उच्च स्तर पर भिजवाया हुआ है। फिर भी इस बार अस्थायी विद्यालय संचालित करने का प्रयास करेंगे।

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