बस्ती में जाने पर आपको कई बच्चे कचरे के ढेर में ‘रोजी-रोटीÓ तलाशते नजर आ जाएंगे। सुबह से शाम तक इनका बचपन गंदगी के ढेर पर कचरा बीनने में गुजरता है। बस्तीवासी लाड बाई, बादाम बाई व कजोड़मल ने बताया कि यहां 28 से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। कई बार बच्चों का विद्यालय में नामांकन भी कराया गया लेकिन दूरी अधिक होने के चलते एक भी बच्चा स्कूल नहीं गया।
बस्ती वालों और बच्चों से बातचीत में सामने आया कि बच्चे पढऩा लिखना चाहते हैं लेकिन सरकारी विद्यालय बस्ती से डेढ़ किलोमीटर दूर है। वहां जाने के लिए स्टेट हाइवे से गुजरना पड़ता है। दुर्घटना की आशंका के चलते ये छोटे बच्चों को स्कृल नहीं भेजते।
बहुत दूर है स्कूल, बस्ती में खुले बस्तीवासी बादाम बाई स्पष्ट कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, दो बार विद्यालय में नाम भी लिखाया लेकिन बस्ती से सरकारी विद्यालय डेढ़ किलोमीटर दूर है जहां सड़क भी बीच में पड़ती है। इसके चलते बच्चों ने एक-दो दिन जाकर विद्यालय छोड़ दिया। यहीं विद्यालय खुल जाए तो राहत मिले। पिछले साल मांग की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ।
बस्ती का ही बच्चा राहुल अपने सपने सामने रखता हुआ कहता है कि अन्य बच्चों की तरह मैं भी पढऩा चाहता हूं। स्कूल में नाम भी लिखवाया था लेकिन काफी दूर होने से घर वाले स्कूल ही नहीं भेजते हैं। बारिश में तो बस्ती से बाहर निकलना भी दूर्भर हो जाता है। बस्ती में ही विद्यालय खुल जाए तो जाएंगे।