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मुकुन्दरा हिल्स की खूबसूरती देख दीवाने हो जाएंगे आप, जानिए क्या है यहां खास

locationकोटाPublished: Jan 02, 2018 09:33:37 am

Submitted by:

​Zuber Khan

मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व की देखिए खूबसूरती। यहां घना जंगल, पहाड़, झरने, पोखर, तालाब और सदानीरा चम्बल और पलते सैकड़ों प्रजाति के के वन्यजीव हैं।

 Mukundara Hills Tiger Reserve
कोटा . देश में बाघों की बसावट व आबादी के लिए एक से बढ़कर एक प्राकृतिक व मुफीद वन्यक्षेत्र हैं, लेकिन फिर भी कई अभयारण्यों में बाघों का कुनबा बढ़ाने व उन्हें सुरक्षित माहौल देने में सरकार व वन विभाग को पसीने आ रहे हैं। इसके उलट मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व बाघों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं। यहां क्या नहीं है… घना जंगल, पहाड़, झरने, पोखर, तालाब और सदानीरा चम्बल और प्रकृति की गोद में पलते सैकड़ों प्रजाति के वन्यजीव। ऐसे में बाघों की बसावट के लिए मुकुन्दरा सुरक्षित, मुफीद और आदर्श जगह है। उल्लेखनीय है कि यहां इसी माह बाघ छोडऩा प्रस्तावित है। इस अनूठे रिजर्व में वन्यजीव, वनस्पति, पुरा सम्पदा पर्यटकों को आकर्षित करती है।

ऐसा है टाइगर रिजर्व
मुकुन्दरा हिल्स को 9 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यह करीब 760 वर्ग किमी में चार जिलों कोटा, बूंदी, झालावाड़ व चित्तौडगढ़़ में फैला है। करीब 417 वर्ग किमी कोर और 342 वर्ग किमी बफर जोन है। इसमें मुकुन्दरा राष्ट्रीय उद्यान, दरा अभयारण्य, जवाहर सागर व चंबल घडिय़ाल अभयारण्य का कुछ भाग शामिल है।
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इसलिए है अनूठा
रिजर्व का नजारा बरसात में अलग ही होता है। यहां शुष्क, पतझड़ी वन, पहाडिय़ां, नदी, घाटियों के बीच तेंदू, पलाश, बरगद, पीपल, महुआ, बेल, अमलताश, जामुन, नीम, इमली, अर्जुन, कदम, सेमल और आंवले के वृक्ष हैं।
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दुर्लभ प्राणी भी हैं यहां
चम्बल नदी किनारे बघेरे, भालू, भेडिय़ा, चीतल, सांभर, चिंकारा, नीलगाय, काले हरिन, दुर्लभ स्याहगोह, निशाचर सिविट केट और रेटल जैसे दुर्लभ प्राणी भी देखने को मिलेंगे। अधिकारियों के अनुसार यहां 800 से 1000 चीतल, 50 से 60 के मध्य भालू, 60 से 70 पैंथर व 60 से 70 सांभर हैं।
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ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल भी
रिजर्व में 12वीं शताब्दी का गागरोन का किला, 17वीं शताब्दी का अबली मीणी का महल, पुरातात्विक सर्वे के अनुसार 8वीं-9वीं शताब्दी का बाडोली मंदिर समूह, भैंसरोडगढ़ फोर्ट, 19वीं शताब्दी का रावठा महल, शिकारगाह समेत कई ऐतिहासिक व रियासतकालीन इमारतें, गेपरनाथ, गरडिय़ा महादेव भी हैं, जो कला-संस्कृति व प्राचीन वैभव को दर्शाती हैं।
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