
Negligence in treatment at the MBS hospital
कोटा के एमबीएस हॉस्पिटल के मेडिसन विभाग में बने आईसीयू में एक अतरिक्त वेंटीलेटर रखा हुआ था, लेकिन डॉक्टरों को उसे चालू करने की याद ही नहीं रही। जबकि इसी वार्ड में वेंटीलेटर ना मिलने से एक महिला मरीज की तड़प-तड़प कर मौत हो गई। लापरवाही का खुलासा होने के बाद अफसर जांच कराने का दावा कर जिम्मेदारियों से पल्ला झा़ड़ने में जुटे हैं।
एमबीएस हॉस्पिटल में विभागीय लापरवाही का बड़ा खुलासा हुआ। जिसकी वजह से एक युवती की जान चली गई। अंता निवासी शिबा खान को निमोनिया होने पर कोटा के एमबीएस हॉस्पिटल के मेडिसिन आईसीयू में भर्ती कराया गया था। शनिवार शाम को तबीयत ज्यादा खराब होने पर वेंटीलेटर की आवश्यकता हुई, लेकिन नहीं मिलने पर उसकी मौत हो गई। रविवार को सुबह अधिकारियों ने इस मामले की पड़ताल करवाई तो चौंकाने वाला सच सामने आया। आईसीयू में अतिरिक्त वेंटीलेटर रखा था, लेकिन उसका इस्तेमाल करने की हॉस्पिटल प्रबंधन को याद ही नहीं रही। खुलासे के बाद सवाल उठने लगे हैं कि जब वार्ड में अतरिक्त वेंटीलेटर था तो फिर मरीज को क्यों नहीं लगाया गया या फिर अतिरिक्त वेंटीलेटर के बारे में किसी को भी जानकारी नहीं थी? इसका जवाब देने को कोई तैयार नहीं। इस बारे में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच करवाएंगे।
... तो डॉक्टरों को नहीं थी जानकारी
मेडिसिन आईसीयू के चिकित्सकों से जब बात की गई तो पता चला कि विभाग में 9 वेंटीलेटर है। इनमें से 4 खराब है। जिन्हें ठीक कराने के लिए आईसीयू प्रभारी ने अधीक्षक व प्रिंसीपल को कई बार पत्र लिखे हैं। एक वेंटीलेटर तो पिछले दो महीने से खराब पड़ा है। गत वर्ष चार नए वेंटीलेटर खरीदे थे। उनमें से दो अन्य मरीजों को लगा दिए। शेष बचे दो में से एक शनिवार को भर्ती कराई युवती को लगाया गया था और एक की किसी को याद ही नहीं रही। युवती को लगा हुआ वेंटीलेटर तकनीकी कारणों से काम नहीं आ पाया, लेकिन अतिरिक्त वेंटीलेटर रखे होने की जानकारी किसी को नहीं थी।
मौत के बाद याद आई जांच
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरीश वर्मा का कहना है कि स्वाइन फ्लू व डेंगू जैसी बीमारियों के मामलों में कई बार हॉस्पिटल अधीक्षकों की बैठकें ली। इनमें खराब वेंटीलेटरों का मामला भी उठा। बावजूद इसके कोई सुधार नहीं हुआ। हर बार जल्द ठीक करवाने का आश्वासन ही मिलता रहा। वेंटीलेटर होने के बावजूद नहीं लगाया तो जांच करवाएंगे। जबकि एमबीएस हॉस्पिटल के अधीक्षक पीके तिवारी का कहना है कि आईसीयू विभाग के प्रभारी को 20 बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन खराब वेंटीलेटरों को ठीक नहीं कराया गया। युवती की मौत के बाद दूसरे दिन आईसीयू का दौरा किया गया। उन्होंने बताया कि वेंटीलेटर सही है। मेजर प्रॉब्लम्स है तो दिखवाएंगे।
आपस में ही भिड़े जिम्मेदार
मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. निर्मल शर्मा का कहना है कि वेंटीलेटर लगाने का काम हमारे विभाग का नहीं हैं। इसके बावजूद हमें जदरदस्ती थौंप रखा है। वेंटीलेटर लगाने की जिम्मेदारी एनेथेसिया विभाग की है। वहीं एनेथेसिया विभागाध्यक्ष एससी दुलारा का कहना है कि मेडिसिन विभाग का आईसीयू है। उन्हीं के उपकरण है। सारा सेटअप उनका है, तो हमारा इसमें रोल कैसे। जबरदस्ती टोपी पहनाने का काम किया जा रहा है। फिर भी यदि मेडिसिन विभाग हमें आईसीयू सौंपता है तो हम उसे भी चला लेंगे।
Published on:
11 Sept 2017 07:26 am
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