
कोटा .
यात्री ट्रेनों को मंजिल तक पहुंचाने वाले डीजल और विद्युत इंजनों से अब और ज्यादा कार्य लिया जाएगा। इसके लिए रेलवे इंजनों की समय सारणी बनाने के लिए अंक गणना के आधार पर विकसित सॉफ्टवेयर तैयार किया है। नई प्रणाली से टे्रनों के विलम्ब होने से होने वाले समय परिवर्तन और नई ट्रेनों का परिचालन करना सुगम होगा। इसके अलावा हर साल विद्युतीकृत रेलपथ की दूरी बढ़ रही है। ऐसे में नई जरूरत के हिसाब से संतुलन बनाने के लिए भी यह पहल जरूरी थी।
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रेलवे सूत्रों के अनुसार यात्री रेलगाडिय़ों की समय सारणी बनाना एक बेहद जटिल काम होता है। लिहाजा रेल मंत्रालय ने इस बात को ध्यान में रखते हुए 2018-19 के बजट में यात्री रेलगाडिय़ों में डीजल और बिजली इंजनों के इस्तेमाल की नवीन विश्लेषणात्मक प्रणाली विकसित करने और क्रियान्वित करने की परियोजना को मंजूद दे दी थी, जिस पर कार्य शुरू कर दिया गया है।
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अब रेलवे बोर्ड की ट्रांसफ ॉर्मेशन सेल द्वारा एक पायलट योजना के तहत रेलवे के सभी 16 जोन ने मिलकर इसकी शुरुआत की है। इसके जरिए लोकोमोटिव लिंक का पुनर्गठन किया गया है। भारतीय रेल के पास देशभर में बिजली और डीजल से चलने वाले यात्री रेल इंजनों की कुल संख्या 3300 है। यात्री रेलगाडिय़ों में इन इंजनों का इस्तेमाल एक पूर्व निर्धारित समय सारिणी के अनुसार किया जाता है, जिन्हें लोकोमोटिव लिंक कहा जाता है। अभी तक यह समय सारणी रेलवे के सभी 16 जोन द्वारा अपने हिसाब से हाथ से तैयार की जाती थी, लेकिन अब इसके लिए एकीकृत सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है।
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ये लाभ होगा
इससे यात्री रेलगाडिय़ों में प्रयुक्त होने वाले लगभग 720 करोड़ रुपए की लागत वाले 30 डीजल और 42 विद्युत इंजनों की बचत होगी। इनका इस्तेमाल आगे मालगाडिय़ों को चलाने और रेलवे के लिए अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने के लिए किया जा सकेगा। कोटा मंडल में एक इंजन औसत रोज 1 हजार किमी दौड़ता है, इसकी क्षमता में और इजाफा होने उम्मीद है।
Published on:
19 Mar 2018 04:05 pm
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