scriptखुलासा: कोटा के प्रभावशाली राजनेता का बच्चा था अंकुर के निशाने पर | Rudraksh murder: Kota's powerful politician child On target of Ankur | Patrika News
कोटा

खुलासा: कोटा के प्रभावशाली राजनेता का बच्चा था अंकुर के निशाने पर

रुद्राक्ष हत्याकांड का दोषी अंकुर पाडिया भेड़ की खाल में छिपा यह भेडिया शहर में हर अमीर परिवार को वारदात अंजाम देने की नीयत से ही तलाशता रहा।

कोटाFeb 28, 2018 / 09:29 am

​Zuber Khan

Rudraksh murder case
कोटा . सट्टे की वजह से कर्ज के दलदल में धंस चुका रुद्राक्ष हत्याकांड का दोषी अंकुर पाडिया अपराध करने के लिए इतना उतावला हो गया था कि उसकी नजर शहर के सभी सम्पन्न परिवारों के बच्चों पर थी। भेड़ की खाल में छिपा यह भेडिया शहर में हर अमीर परिवार को वारदात अंजाम देने की नीयत से ही तलाशता रहा। जब उसका दांव नहीं बैठा तो उसने इसके लिए गूगल सर्च की भी मदद ली। इस हत्याकांड़ में खुलासे होने का दौर अभी भी जारी है।
यह भी पढ़ें
फ्लैश बैक :

फोन की एक घंटी ने हिलाकर रख दी परिवार की सांसें, बेटे की जान के बदले मांगे थे दो करोड़



कोटा के ही एक बेहद प्रभावशाली राजनेता के परिवार पर भी इसकी निगाह थी। अंकुर ने वारदात को अंजाम देने से पहले गूगल पर हर उस व्यक्ति को सर्र्च किया जो करोड़पति अथवा अरबपति है। उसकी निगाह कोटा के एक बड़े राजनेता के बच्चे पर भी थी। ये जानकारी पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश एफएसएल रिपोर्ट में सामने आई है। ये ही नहीं, उसने कई उद्योगपति, शोरूम के मालिक, व्यवसायी के साथ अन्य लोगों की गूगल के माध्यम से तलाश की थी, जिसे वह निशाना बना सके।
यह भी पढ़ें
फ्लैश बैक: ह

त्यारे ने पिता को दी थी धमकी, सुन ले, पुलिस को कुछ बताया तो रुद्राक्ष जिंदा नहीं बचेगा



वि शिष्ट लोक अभियोजक कमलकांत शर्मा ने बताया कि पुलिस ने जो एफएसएल रिपोर्ट न्यायालय में पेश की है, उसमें भी कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। एफएसएल रिपोर्ट में सामने आया कि अंकुर ने कई दिनों तक अपराध करने के तरीके को गूगल पर सर्च किया है। उसने अपराध से बचने के तरीके भी गूगल के माध्यम से सर्च किए। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उसने कोटा के हर उस व्यक्ति की तलाश की, जो बहुत अमीर है। ऐसे कई लोगों के नाम उसने गूगल से तलाश किए।
यह भी पढ़ें
फ्लैश बैक:

पुलिस को कोटा से बयाना तक दौड़ाया और खुद दशहरे मेले में घूमता रहा हत्यारा अंकुर



अपराध के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल
अंकुर की तलाश यहीं नहीं थमी, उसने नेट का भरपूर स्तेमाल किया और संतुष्ट होने व पूरी योजना बनाने के बाद वारदात को अंजाम दिया। एफएसएल रिपोर्ट में सामने आया कि उसने 8 साल के बच्चे को कितनी मात्रा में क्लोरोफार्म दी जाती है और कितने समय बाद उसे होश आएगा? इसकी भी जानकारी जुटाई। अंकुर ने क्लोरोफार्म कहां मिलती है? उन शहरों की भी तलाश की। ऐसे कई शहर एफएसएल रिपोर्ट में अंकित हैं। उसने दिल्ली में कहां सिम मिलेगी? यह भी गूगल के माध्यम से तलाश किया। उसने कई शॉप चुनने के बाद करणजीत की शॉप से सिम ली।

यह भी पढ़ें

रुद्राक्ष हत्याकाण्ड: फैसले से पहले कोर्ट परिसर का माहौल देखिए तस्वीरों में…



सीखा भेष बदलना
32 पेज की एफएसएल रिपोर्ट में सामने आया कि उसने कई पहलुओं पर कार्य किया है। रिपोर्ट में ये सामने आया की अंकुर ने गूगल के माध्यम से जाना की भेष कैसे बदला जाता है, उसका सामान कहां मिलेगा? वहीं भेष बदलने की तकनीक क्या है? प्लास्टिक सर्जरी कहां हो सकती है? फांसी की सजा मिलने के बाद अंकुर का केस हाईकोर्ट की डबल बैंच में चलेगा। बैंच ये तय करती है कि जिस व्यक्ति को फांसी की सजा हुई है वह प्रकरण फांसी के योग्य है या नहीं। उसके बाद प्रकरण सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रपति के समक्ष भी रखा जाता है। राज्यपाल को भी फांसी की सजा में राहत देने का अधिकार है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो