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खैर की लकड़ी की हरियाणा करते थे तस्करी, वन विभाग के हत्थे चढ़े

आरोपी के साथी मौके से फरार तस्करी के लिए जाती है हरियाणा व गुडग़ांव  

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खैर की लकड़ी की हरियाणा करते थे तस्करी, वन विभाग के हत्थे चढ़े

खैर की लकड़ी की हरियाणा करते थे तस्करी, वन विभाग के हत्थे चढ़े

रावतभाटा/ भैंसरोडगढ़ . खैर की लकड़ी काटकर लाखों रुपए बटोरने वाले तस्कर को वन विभाग के रेंज बोराव व जावदा की टीम ने वन खंड कृपापुरा स्थित एक खेत से पकड़ा है। टीम ने मौके से करीब 30 क्विंटल खैर की लकड़ी भी जप्त की है। मौके से आरोपी के साथी फरार हो गए। पूछताछ में आरोपी ने पेड़ बोराव रेंज वनखंड बांदरमुथा व जावदा रेंज के कृपापुरा से काटना बताया है। सबसे ज्यादा पेड़ जावदा रेंज से कटे हैं। इसलिए जावदा रेंज ने मामला वन अधिनियम 26 व 37 में मामला दर्ज किया है। बोराव क्षेत्रीय वन अधिकारी अब्दुल सलीम ने बताया कि मध्यप्रदेश के नीमच जिले में फडि़चा कोजा निवासी कालूराम भील को गिरफ्तार किया है। बोराव क्षेत्र के वनखंड कृपापुरा में कुछ दिनों से खैर की लकड़ी काटकर तस्करी करने की सूचना मिल रही थी। इसको लेकर बोराव व जावदा रेंज के तीन दिनों से वनकर्मी नजर रखे हुए थे। इसको लेकर मंडेसर नाके के प्रभारी व वन रक्षक विक्रम सिंह कसाना ने कटी लकड़ी देखी।

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ऐसे में उसने क्षेत्रीय वन अधिकारी अब्दुल सलीम को सूचना दी। ऐसे में क्षेत्रीय वन अधिकारी नाकों से वनकर्मियों को लेकर मौके पर पहुंचे। टीम को मौके से 25 से 30 क्विंटल लकड़ी के गुट्टे मिले। टीम ने आरोपी को मौके से गिरफ्तर कर लिया। तीन गश्त है। संयुक्त है। मध्यप्रदेश लेकर जाते हैं लकड़ी उधर क्षेत्रीय वन अधिकारी का कहना है कि उक्त क्षेत्र आधा बोराव व आधा जावदा रेंज में लगता है। पास ही मध्यप्रदेश की सीमा भी है। आरोपी पेड़ काटने के बाद मध्यप्रदेश लेकर जाते हैं।

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कत्था व पान मसाले में होता इस्तेमाल
खैर की लकड़ी का कत्था व पान मसाला बनाने में इस्तेमाल होता है। आरोपी इसे 25 रुपए किलो के हिसाब से बेचते हैं, जबकि हरियाणा व गुडग़ांव में आगे जाकर उन्हें इसकी कीमत 40 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलती है।