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कोटा यूनिवर्सिटी में फर्जी एडमिशन से लेकर छात्रसंघ चुनाव लडऩे तक का ग्वालियर से हैं खास कनेक्शन

Student Union election 2019, Kota University: कोटा विश्वविद्यालय में फर्जी दाखिले लेकर छात्रसंघ चुनाव लडऩे का ग्वालियर से है गहरा र‍िश्‍ता।

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कोटा

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Zuber Khan

Aug 27, 2019

Student Union election cancelled

कोटा यूनिवर्सिटी में फर्जी एडमिशन से लेकर छात्रसंघ चुनाव लडऩे तक का ग्वालियर से हैं खास कनेक्शन

कोटा. कोटा विश्वविद्यालय ( Kota University ) में फर्जी दाखिले (Fake admission ) लेकर छात्रसंघ चुनाव ( Student Union election ) लडऩे का ग्वालियर से ऐसा रिश्ता जुड़ चुका है ( Gwalior connection ) कि टूटने का नाम ही नहीं ले रहा। बीते चार साल में यह दूसरा मामला है, जिसमें ग्वालियर कनेक्शन ( Gwalior connection ) सामने आया है। इतना ही नहीं विवि की प्रवेश समिति और मुख्य निर्वाचन अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठते रहे हैं। कोटा विवि में बीते चार सालों में कई मर्तबा फर्जी दस्तावेज से दाखिला देने के मामले उजागर हो चुके हैं, लेकिन विवि प्रशासन जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय हर बार उन्हें बचाने में ही जुटा रहता है।

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कोटा विश्वविद्यालय में फर्जी दस्तावेज से दाखिले का पहला मामला शैक्षणिक सत्र 2015-16 में आया था। तब एडमिशन के 'खिलाडिय़ोंÓ ने स्नातक में कम अंक होने के बावजूद पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह पानाहेड़ा को फर्जी खेल प्रमाण पत्रों के जरिए वाणिज्य संकाय में एमकॉम (एबीएसटी) पाठ्यक्रम में प्रवेश दिला दिया था। उसने खेल कोटे का फायदा लेने के लिए ऑल इंडिया फुटबॉल फैडरेशन (एआईएफएफ) की ओर से 19 से 29 सितम्बर 2013 में हुई जोनल स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में शामिल होने का प्रमाण पत्र लगाया था। प्रमाण पत्र पर एआईएफएफ के अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस नेता प्रियरंजन दास मुंशी के हस्ताक्षर थे, जबकि उस समय अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल थे। इतना ही नहीं, राजस्थान क्रीड़ा परिषद की जांच रिपोर्ट से सनसनीखेज खुलासा हुआ था कि राजस्थान फुटबॉल फैडरेशन को वर्ष 2006 में ही भंग कर दिया गया था और उसके बाद कभी भी किसी खिलाड़ी को राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेलने के लिए नहीं भेजा गया। बावजूद इसके यह प्रमाण पत्र बन गया।

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लगाए थे दो सर्टिफिकेट
पानाहेड़ा ने प्रवेश के लिए शूटिंग चैम्पियनशिप का आईकार्ड और वैपन लिस्ट भी फार्म के साथ जमा किया था। जिसे क्रीड़ा परिषद ने प्रवेश के लिए योग्य दस्तावेज मानने से इनकार कर करते हुए कहा कि जब तक विवि, राज्य, जोनल और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक हासिल करने का प्रमाण पत्र नहीं लगाया जाएगा, तब तक कोई भी छात्र कोटा विवि में खेल कोटे से प्रवेश का हकदार नहीं है। क्रीड़ा परिषद ने प्रवेश देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को मूल नियमों की पालना न करने पर भी फटकार लगाई थी, लेकिन ग्वालियर से जुड़े विवि के तत्कालीन रजिस्ट्रार संदीप सिंह चौहान, कुलपति प्रो. पीके दशोरा और विवि जांच कमेटी के चेयरमैन प्रो. एनके जैमन ने क्रीड़ा परिषद को टका सा जवाब दे दिया कि यहां आपके नहीं हमारे नियम चलते हैं।

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विशेष कमेटी में भी ग्वालियर
इतना ही नहीं उस एक विधायक और उनके परिजनों के दबाव में विवि प्रशासन ने ग्वालियर से जुड़े खेल विशेषज्ञों की रातों रात कमेटी गठित की और छुट्टी के दिनों में बैठक करवा कर दाखिले को वाजिब करार दे दिया, लेकिन अभी तक विवि प्रशासन किसी भी जांच कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर सका है। पहले राजभवन और फिर प्रदेश सरकार ने विवि प्रशासन से जवाब तलब किया था, जिसका अभी तक संतोषजनक जवाब दाखिल नहीं किया जा सका है। इसी महीने विवि प्रशासन की ओर से दाखिल किए गए जवाब को प्रदेश सरकार ने ठुकराते हुए फिर से मय दस्तावेज के जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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फिर हुआ खुलासा
इसके बाद भी लगातार कोटा विवि में छात्रों के एडमिशन पर फर्जीवाड़े के बादल मंडराते रहे। फर्जी दाखिले कराने वालों की विवि में पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि श्रीधर यूनिवर्सिटी और शोभित यूनिवर्सिटी की फर्जी अंकतालिकाएं पकड़ में आने के बाद उनके छात्रों के दाखिलों पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी शैक्षणिक सत्र 2016-17 में इन विश्वविद्यालयों के छात्रों को दाखिले दे दिए गए।

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राजस्थान पत्रिका ने मामले का खुलासा किया तो इन्हें न सिर्फ परीक्षा देने से रोका गया, बल्कि आगे से फर्जी दाखिलों को रोकने के लिए स्थाई सेल तक गठित कर दी गई। बावजूद इसके शैक्षणिक सत्र 2018-19 में विक्रम नागर ने छात्रसंघ चुनावों से जुड़े फर्जी दाखिलों के ग्वालियर कनेक्शन का फायदा उठाकर जीवाजी विवि ग्वालियर के दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम की फर्जी मार्कशीट लगाकर एमए लोक प्रशासन विषय में दाखिला ले लिया।

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फिर दोहराई वही गलती!
विजय सिंह पानाहेड़ा की तरह ही इस बार भी समय पर ही विक्रम नागर के फर्जी दाखिले का खुलासा हो गया था, लेकिन पहले की तरह इस बार भी पहले वाले लोगों की कमेटी गठित कर दी गई। जिन्होंने पिछली बार की तरह इस बार भी नियमों की गली निकाल कर दस्तावेज की जांच कराने के बजाय पानाहेड़ा की तरह ही नागर को भी चुनाव लडऩे की इजाजत दे दी। इस कमेटी ने विवि के संविधान को पूरी तरह दरकिनार कर दिया। इसमें साफ-साफ उल्लेख है कि यदि कोई छात्र किसी पाठ्यक्रम में ड्रॉप कर चुका है तो वह नए सिरे से दाखिला लेकर चुनाव नहीं लड़ सकता, बल्कि 19 अगस्त 2018 का कॉलेज आयुक्तालय का आदेश का हवाला देते हुए चुनाव लडऩे को हरी झंडी दे दी।

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कार्रवाई की जगह मार्गदर्शन
कोटा विश्वविद्यालय में फर्जी दाखिलों का पैटर्न एक जैसा है और उसे बकायदा विवि के कर्मचारियों और दाखिला देने वाली समितियों के लोगों की जानकारी से चालाया जाता है। यकीन न हो तो पानाहेड़ा और नागर के मामले को देखा जा सकता है। इसमें पानाहेड़ा को पहले एमकॉम में दाखिला दिलवाकर हैरिटेज डिपार्टमेंट में ट्रांसफर करवाया गया था, लेकिन मोनार्ड यूनिवर्सिटी के फर्जी दस्तावेज का मामला सामने आने के बाद नागर को एमएसडब्ल्यू की परीक्षा छुड़वाई गई और दाखिला रद्द करवाते समय तैयार किए गए दस्तावेज से उस सत्र का जिक्र तक हटा दिया गया, ताकि विवि नियमों के मुताबिक चुनाव लडऩे के अयोग्य न हो जाए और नए सिरे से एक और फर्जी मार्कशीट बनवाकर एमए लोक प्रशासन में दाखिला दिलवाया गया। इतना सब होने के बावजूद विवि प्रशासन ने फर्जी दाखिला करने वाले विवि कर्मियों और आपत्तियों के बावजूद चुनाव लडऩे के लिए हरी झंडी दिखाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय उल्टा उन्हें बचाने के लिए चुनाव ही स्थगित कर दिया।

इस प्रकरण को भी चकरघिन्नी बनाने के लिए सरकार को पत्र लिखकर पूरे मामले में मार्गदर्शन मांगा गया है। हालांकि विवि के फैसले से छात्रों में खासा रोष है और उन्होंने चुनाव में बची रह गई अध्यक्ष पद की एक मात्र प्रत्याशी गुंजन झाला को निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित घोषित करने की मांग की है। विवि के बाहर फिलहाल सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस जाप्ता तैनात कर दिया गया है।


भाजपा ने जताई आपत्ति
भाजपाके प्रदेश मंत्री छगन माहुर ने आरोप लगाया कि कोटा विश्वविद्यालय प्रशासन ने राज्य सरकार के दबाव में चुनाव स्थगित किया है। यह छात्रों के साथ धोखा है। एक प्रत्याशी का नामांकन खारिज होने पर एपीबीपी की प्रत्याशी गुंजन झाला का चुनाव जीतना तय हो गया था। भाजपा नेता नरेन्द्र धाकड़ ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है।