
आपबीती: टाइगर और मेरे बीच 10 फीट की दूरी, दहाड़ा तो हांफ गई सांसें, फिर कैसे बची जान...पढि़ए आगे
बूढ़़ादीत. खेत की रखवाली को गए एक किसान की उस वक्त सांसें अटक गई जब सामने खड़ा टाइगर को देखा। 'आगे कुआ और पीछे खाईÓ वाली कहावत इस किसान पर सटीक बैठती है। शरीर को चीर देने वाले पंजे और दांत देख उसके हाथ पैर फूल गए और पसीना बहने लगा। जान कैसे बचे कुछ नहीं सूझ रहा था। फिर, क्या हुआ...जानिए, प्रत्यक्षदर्शी राजेंद्र गुर्जर से...
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मैं रोजाना की तरह सुबह जल्दी उठकर खेत की रखवाली करने गया था। खेत से मवेशियों को भगाकर टॉर्च लेकर पास ही खाळ में शौच करने गया तो बाघ दिखाई दिया। बाघ को देखकर एक बार तो हाथ-पैर फूल गए। बाघ व मेरे बीच करीब दस फीट का ही फासला था लेकिन बीच में कंटीली बाड़ थी। शायद यही वजह रही कि बाघ लपका नहीं। धैर्य रखकर मैं कुछ कदम पीछे हटा। फिर तत्काल गांव की ओर पूरी ताकत से भागा। सांसें हांफ रही थी लेकिन मैं दौड़ता चला गया। जैसे तैसे गांव पहुंच कर सारी बात परिजनों व पड़ोसियों को बताई। इसके बाद हमने पुलिस व वनकर्मियों को सूचना दी। इसके बाद वन विभाग की टोलियों ने उसे ट्रंकूलाइज करने का अभियान शुरू किया।
इधर, 2 मीटर की दूरी पर रणथंभौर टीम से हुआ सामना
रणथंभौर टीम के सदस्य हरिसिंह, मानसिंह, बहादुरसिंह व कन्हैयालाल जब टे्रकिंग करते खेत की ओर जा रहे थे तभी उनका महज 2 मीटर की दूरी पर बाघ से सामना हो गया। बाघ को देखते ही वनकर्मियों के पसीने छूट गए। स्थिति यह थी कि वह न तो भाग सकते और न ही पीछे हट सकते। चंद कदमों की दूरी पर ही मौत खड़ी थी। लेकिन, वहां कंटीली झाडिय़ां होने से बाघ उनकी ओर नहीं बढ़ सका। वे स्थान छोड़कर दूर चले गए। इस तरह से वनकर्मियों की जान बच गई।
Published on:
24 Jan 2019 08:00 am
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