धारीवाल के मंत्री बनने के बाद प्रदेशभर के अधिकारी यूआईटी में लगने को आतुर है। प्रदेशभर से अच्छे अफसरों को तलाश कर यूआईटी में लगाया जा रहे हैं। ज्यादातर पद भरे जा चुके हैं। राज्य सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर नगर विकास न्यास में मुख्य अभियंता के पद पर अशोक कुमार चौधरी को लगाया है। जो प्रदेश के नगर विकासों का काम कोटा से ही देखेंगे। निगम के अधिशासी अभियंता महेश शर्मा, प्रकाश शर्मा को न्यास में लगा दिया गया है। निगम में यह दोनों पद खाली चल रहे हैं। इसके अलावा आधा दर्जन सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंताओं को भी निगम से खींचकर न्यास में लगा दिया है।
न्यास में जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता अनिल कछावा के विवादों में रहने के बाद नगर विकास न्यास में तैनात कर दिया। उन्हें पानी के साथ सीवरेज और सिविल इंजीनियरिंग का कार्या सौंप रखा है। मूल रूप से वे जलदाय विभाग के अधिकारी हैं। विवादों के चलते जलदाय विभाग से एपीओ किया गया था।
कहकर पत्नी को घर से निकाला.. थानाधिकारी भी लगाया
कांग्रेस के पिछले शासन में ही न्यास में अतिक्रमण निरोधक दस्ते को मजबूत करने के लिए थानाधिकारी का पद सृजित किया गया था, लेकिन भाजपा शासन में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। पिछले दिनों न्यास में आशीष भार्गव को सीआई का जिम्मा सौंपा गया है।
निगम के अधीक्षण अभियंता प्रेम शंकर शर्मा पर आधा दर्जन विभागों व अनुभागों का अतिरिक्त चार्ज है। एक उपायुक्त, स्मार्ट सिटी एसई, निकाय एसई सहित अन्य पदों का काम सौंप रखा है। वे काम के दबाव की बात कहकर अतिरिक्त पदों से कार्यमुक्त करने का पत्र पिछले दिनों आयुक्त को दे दिया था।
कांग्रेस सरकार ने आते ही मुख्य अग्निशमन अधिकारी और अग्निशमन अधिकारी का तबादला कर दिया था। लेकिन मुख्य अग्निशमन अधिकारी के पद पर किसी को नहीं लगाया। अग्निशमन अधिकारी के पर श्रीगंगानगर से अधिकारी लगाया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही पुन: तबादला कर दिया गया। दोनों अग्निशमन अधिकारी के पद खाली चल रहे हैं। मुख्य अग्निशमन अधिकारी का अतिरिक्त चार्ज सिविल के एक्सईएन प्रशांत भरद्वाज को दे रखा है।
निगम का मुख्य कार्य ही शहर को साफ रखना है। लेकिन सफाई का बेडा ही खाली चल रहा है। मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी और स्वास्थ्य अधिकारी के पद खाली चल रहे हैं। अभियंताओं को अतिरिक्त कार्यभार सौंप रखा है।
सामाजिक पेंशन के 5500 हजार आवेदन पत्र लम्बित चल रहे हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हो गई है। निगर
ानी करने वाले नहीं है- भवन निर्माण, नाम हस्तांतरण, सेल परमिशन आदि के नाम अटके- आर्थिक आधार पर आरक्षण के आवेदन पत्रों का सत्यापन तक नहीं हो रहा है।- वार्डों में विकास कार्य ठप पड़े हैं।