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कब तक सब्र रखें किसान, आखिर अपनाना पड़ा ये रास्ता

locationकोटाPublished: Nov 17, 2018 01:19:34 am

Submitted by:

Dhitendra Kumar

प्रशासन की उदासीनता के चलते अभी तक लक्ष्मीपूरा डिस्ट्रीब्यूटरी, खेडली पीपल्दा, खेड़ली, किशनपूरा व पीपल्दा माइनर के टेल क्षेत्र सुखे पड़े हैं।

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कब तक सब्र रखें किसान, आखिर अपनाना पड़ा ये रास्ता


पीपल्दाकलां/इटावा.

पीपल्दाकलां क्षेत्र के किसानों ने टेल क्षेत्र पर पानी पहुंचाने की मांग को लेकर शुक्रवार को इटावा उपखण्ड अधिकारी को संभागीय आयुक्त के नाम का ज्ञापन दिया। इस दौरान किसानों ने कार्यालय के बाद प्रदर्शन भी किया। ज्ञापन में किसानों ने बताया कि जल प्रवाह के एक माह बाद भी प्रशासन की उदासीनता के चलते अभी तक लक्ष्मीपूरा डिस्ट्रीब्यूटरी, खेडली पीपल्दा, खेड़ली, किशनपूरा व पीपल्दा माइनर के टेल क्षेत्र सुखे पड़े हैं। इस कारण किसान बुवाई नहीं कर पा रहे हैं।
नहरी पानी नही आने से दो दर्जन से अधिक गांवों के किसानों के खेत पडत पड़े हुए हैं। तीन वर्ष से टेल क्षेत्र के किसान समय पर नहरी पानी नहीं मिलने से फ सल उत्पादन में पिछड़ रहे हैं। ज्ञापन में चेतावनी दी कि यदि 20 नवम्बर तक टेल तक पानी नहीं पहुंचा तो भारतीय किसान संघ की ओर से उपखण्ड कार्यालय के बाहर धरना दिया जाएगा।
ज्ञापन देने वालों में किसान संघ अध्यक्ष रमेशचन्द, खेड़ली पीपल्दा संगम अध्यक्ष प्रहलाद सिंह पवंार, लक्ष्मीपूरा डिस्ट्रीब्युटरी अध्यक्ष भरत मीणा, खेडली किशनपूरा अध्यक्ष श्याममोहन, राजु मीणा, महेन्द्र सिंह पवांर, मंशाराम मीणा सहित क्षेत्र के किसान उपस्थित थे।
40 का चल रहा गेज: ज्ञापन में किसानों ने बताया कि इटावा ब्रांच केनाल में फतेपुर फाल पर 60 के स्थान पर 40 का गेज चल रहा है। वहीं केनाल में क्षमता के अनुरूप पानी नहीं चलाने से गेंता, खातौली, अयाना वितरिका में पानी का प्रवाह नहीं चल रहा है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों में पनप रहा रोष
गौरतलब है कि नहरों में जल प्रवाह हुए एक माह से अधिक होने के बावजूद टेल क्षेत्र के किसानों तक पानी नहीं पहुंचा है। किसान पलेवा नहीं कर पा रहे हैं। जब भी वे सीएडी कार्यालयों में जाते हैं उन्हें एक दो दिन में जल प्रवाह बढ़ाने का आश्वासन दे दिया जाता है लेकिन नतीजा वही सिफर रहता है। इसके अलावा कई जगह नहरों की सफाई ठीक से नहीं होने से रोड़े अटके हुए हैं। ये भी पानी के प्रवाह में बाधक बन रहे हैं। पानी न मिलने से किसानों में अब रोष पनपने लगा है।
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