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बारिश में बचें इन बीमारियों से…

locationकोटाPublished: Jun 29, 2018 08:39:37 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

बारिश का सुहाना मौसम कहीं बन जाए मुसीबत

kota

बारिश में बचें इन बीमारियों से…

डिजिटल डेस्क @ पत्रिका. गर्मी के बाद हर कोई बेसब्री से बारिश के मौसम का इंतजार करता है। आसमान से बरसते ठंडे पानी से मिलने वाला सुकून हर किसी की चाहत होती है। बारिश में भीगने का अपना आनंद है इसलिए कई लोगों के लिए मानसून किसी उत्सव या किसी त्योहार से कम नहीं है।लेकिन यह अपने साथ कई तरह की बीमारियां जैसे कि डेंगू, चिकनगुनिया, पीलिया, टायफाइड, डायरिया आदि ले कर आता है। इस मौसम में ये बीमारियां बहुत जल्दी फैलती है। बारिश में कान के अंदर जमी वैक्स और गंदगी से फंगस पैदा हो जाती है। शुरूआत में खुजली या दर्द होता है। अगर ध्यान नहीं दिया गया, तो कान बहना शुरू हो जाता है। बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियों और उनके उपचार के बारे में जानकारी होना बेहद जरुरी है ।
सर्दी-जुकाम, बुखार
बारिश के मौसम में यह बीमारी आम है। काफी देर तक शरीर में नमी रहने के कारण सर्दी-खांसी के बैक्टीरिया जन्म लेते हैं जिससे सर्दी-जुकाम, बुखार और खांसी जैसे रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचाव के लिए बारिश में भीगने से बचना जरुरी है। अगर किसी वजह से भी जाते हैं तो तुरंत कपड़े बदलकर सूखे कपड़े पहन लेना चाहिए। गीलापन सुखाने के लिए पंखे आदि की बजाय हीटर या फिर आग प्रयोग में लाएं। सर्दी-जुकाम से संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क के बाद हाथ ठीक से धोएं। अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
आंखों में संक्रमण
आंखों का लाल होना, कीचड़, सूजन, पलकों के चिपकने की समस्या बढ़ी है। ओपीडी में सबसे अधिक केस छोटे बच्चों और किशोरों के आ रहे हें। सभी समस्याएं संक्रमण की वजह से आ रही हैं। ऐसे में आंखों को बार-बार ठंडे पानी से धोएं, संक्रमित व्यक्ति का तौलिया, रुमाल व अन्य सामान के उपयोग से बचें, मेडिकल स्टोर से स्वयं एंटीबायोटिक लाकर न डालें, छोटे बच्चों के हाथ धुलाकर रखें।
खुजली और दाने
मानसून के आते ही शरीर में फंगस, दाद, खाज, खुजली और लाल रंग के दाने लोगों को परेशान कर रहे हैं। यह समस्या परिवार के एक सदस्य से दूसरे को तेजी से फैल रही है। ऐसे में बेझिझक डॉक्टर को दिखाएं, खुद से इलाज न करें, संक्रमित व्यक्ति के कपड़े न उपयोग करें।
मलेरिया
बारिश में जगह-जगह पानी इकट्ठा हो जाने से मलेरिया की संभावना काफी प्रबल रहती है। मादा एनिफिलीज मच्छर के काटने से होने वाला यह रोग एक संक्रामक रोग है और दुनिया के सबसे जानलेवा बीमारियों में से एक है। इसलिए इसे हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। यदि बुखार और बदनदर्द के साथ आपको कंपकंपाहट हो रही है तो यह लक्षण मलेरिया के हैं। मच्छरों के काटने से खुद का बचाव करना इसके रोकथाम का पहला मंत्र है। इसके लिए रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग, घर के आसपास पानी न इकट्ठा होने देना और नालियों में डीडीटी का छिड़काव जैसे तरीके अपनाए जा सकते हैं। मलेरिया के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने में ही समझदारी है।
हैजा
दूषित जल और अस्वच्छता की बरसात के मौसम में कोई कमी नहीं होती और इनकी वजह से फैलने वाला रोग जिंदगी का सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। आस-पास की गंदगी हैजा फैलने का सबसे बड़ा कारण है। इस रोग के होने पर दस्त और उल्टियां आती हैं, पेट में तेज दर्द होता है, बेचैनी और प्यास की अधिकता हो जाती है। इससे बचने के लिए आसपास की सफाई के अलावा पानी उबालकर पीना चाहिए। इस रोग से बचाव का सबसे अच्छा उपाय टीकाकरण है। यह सुलभ भी है और सबसे ज्यादा विश्वसनीय भी। समय रहते रोगी का उपचार जरुरी है क्योंकि हैजा जानलेवा भी हो सकता है।
टाइफाइड
मानसून के दिनों की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है टाइफाइड। संक्रमित जल और भोजन से होने वाले इस रोग में तेज बुखार आता है जो कई दिनों तक बना रहता है। ठीक होने के बाद भी इस बीमारी से होने वाला संक्रमण रोगी के पित्ताशय में जारी रहता है जिससे जीवन का खतरा बना रहता है। संक्रामक रोग होने के कारण टाइफाइड के रोगी को लोगों से दूर रहना चाहिए। टीकाकरण इस बीमारी को रोकने के लिए बहुत जरुरी है। ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन इस रोग से बचाव के लिए फायदेमंद होता है।
डेंगू और चिकनगुनिया
बारिश के मौसम में डेंगू और चिकनगुनिया ऐसी बीमारियां हैं जो बहुत ज्यादा फैल जाती हैं। दरअसल, डेंगू और चिकनगुनिया बारिश में इसलिए भी खतरनाक होती हैं क्योंकि डेंगू और चिकनगुनिया का लार्वा नमी मिलते ही सक्रिय हो जाता हैं। आपको जानकर हैरानी होगी जहां मरम्मत या निर्माण का काम चल रहा होता है वहां डेंगू और चिकनगुनिया का लार्वा सबसे ज्यादा पाया जाता है। पानी भरे होने के कारण लार्वा जल्दी एक्टिव हो जाता है। डेंगू और चिकनगुनिया मादा एडिस एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलते हैं। डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षणों में तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, मसल्स में और हड्डियों में दर्द की शिकायत, शरीर पर लाल चकते पड़ना, सिरदर्द होना और हल्की ब्लीडिंग होना बहुत आम है।
पीलिया
खून में पेनीसिलिन नामक एक रंग होता है, जिसके बढ़ने से त्वचा पीली पड़ने लगती है। इस दशा को पीलिया या जॉन्डिस कहते हैं। दूषित पानी पीने से और कच्ची सब्जियां खाने आदि से यह बीमारी फैलती है। पेट में सूजन आना, भूख कम लगना, उल्‍टी या कब्‍ज की समस्या, सिरदर्द और थकावट इसके प्रमुख लक्षण हैं। अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई दें तो आप डॉक्टर से सीधे सम्पर्क करें। इसके अलावा बारिश के मौसम में पानी उबाल कर पिएं। दूषित पानी के सम्पर्क में आने से बचें। प्रोटीन युक्‍त खाना खाएं, ग्‍लूकोज लें और गन्‍ने का रस पीएं।
यैलो बुखार
लेप्टोस्पायरोसिस को फील्ड फीवर, रैट काउचर्स यैलो और प्रटेबियल बुखार के नाम से भी जाना जाता है। ये एक संक्रमण है जो लेप्टोस्पाइरा कहे जाने वाले कॉकस्क्रू आकार के बैक्टीरिया से फैलता है। बैक्टीरिया से फैलने वाला लेप्टोस्पाइरोसिस रोग बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा होता है। यह रोग ऐसा है जो खुद ही कई और रोगों को पैदा करने का कारण भी हो सकता है। इस रोग का बैक्टीरिया मानव में सीधे ही प्रवेश न करके जीवों जैसे भैंस, घोड़ा, बकरी, कुत्ता आदि की सहायता से प्रवेश करता है और इस बैक्टीरिया का नाम है लैप्टोस्पाइरा। यह बैक्टीरिया इन जानवरों के मूत्र विसर्जन से प्रकृति में आता है। यह नमी युक्त वातावरण में लम्बे समय तक जीवित रहता है। इसके लक्षणों में हल्के-फुल्के सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और बुखार से लेकर फेफड़ों से रक्तस्राव या मस्तिष्क ज्वर जैसे गंभीर लक्षण शामिल हो सकते हैं।
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