
सुरेन्द्र दहिया और महावीर रणवां जो रूस-यूके्रन के युद्ध में फंसे हुए हैं। (फोटो: पत्रिका)
Russia-Ukraine War Latest Update: रूस-यूक्रेन युद्ध की आंच अब कुचामन क्षेत्र तक भी पहुंच गई है। रसाल गांव निवासी सुरेन्द्र दहिया और बांसा गांव निवासी महावीर रणवां रोजगार की तलाश में रूस गए थे लेकिन वे युद्ध के दलदल में फंस गए हैं।
परिजन के अनुसार 7 सितंबर को दोनों युवकों से आखिरी बार फोन पर बात हुई थी। उसके बाद से न तो कोई कॉल आई और न ही कोई सूचना। घर के आंगन में अब सिर्फ चिंता और मायूसी है, घरों में परिजन की पुकार गूंज रही है कि 'वे बस वे जिंदा लौट आएं।'
ग्रामीणों की मांग है कि सरकार तुरंत प्रभावी कदम उठाकर दोनों युवकों को स्वदेश लाने का प्रबंध करे। परिजन ने प्रधानमंत्री, विदेश मंत्रालय और स्थानीय सांसद हनुमान बेनीवाल से गुहार लगाई है कि दोनों को सुरक्षित भारत लाया जाए।
परिजन ने बताया कि लाडनूं के एक एजेंट के जरिए दोनों युवक 24 अप्रेल 2025 को रूस गए थे। एजेंट ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि टूरिस्ट वीजा खत्म होने पर ग्रीन कार्ड बनवा दिया जाएगा और वहां उन्हें अच्छी नौकरी मिल जाएगी।
रूस पहुंचने के बाद शुरुआती दिनों में एक कंपनी में दोनों को काम भी मिला लेकिन समयावधि पूरी होने पर नौकरी छूट गई और वे दूसरी नौकरी की तलाश में भटकते रहे। इस दौरान वे रूसी सेना से जुड़े एजेंटों के संपर्क में आ गए।
सुरेन्द्र के भाई धर्मेन्द्र और महावीर के चाचा गोरधन ने बताया कि रूसी एजेंटों ने युवकों को यह कहकर कॉन्ट्रेक्ट साइन करवा लिया कि उन्हें सेना के लिए सामान पैकिंग का कार्य करना होगा, जिसके बदले उन्हें बेहतर वेतन और सुविधाएं दी जाएंगी। बाद में हकीकत सामने आई।
परिजन से हुई आखिरी बातचीत में युवकों ने बताया कि सामान पैकिंग का काम तो दूर, उन्हें सैन्य प्रशिक्षण देकर जबरन युद्ध के मैदान में भेजा जा रहा है। सुरेन्द्र ने फोन पर घरवालों को बताया कि हालात बेहद भयावह हैं और उनकी जिंदगी खतरे में है। साथ ही यह भी खुलासा किया कि बड़ी संख्या में राजस्थान के युवक इसी तरह रूस में फंसे हुए हैं।
सुरेन्द्र और महावीर दोनों की शादी हो चुकी हैं और दोनों दो-दो बच्चों के पिता हैं। परिवारजन विशेषकर माता-पिता, पत्नियां और मासूम बच्चे दिन-रात एक ही दुआ कर रहे हैं कि किसी भी तरह सरकार उन्हें सुरक्षित वापस लाने का रास्ता निकाले। पत्नी बस रो-रोकर एक ही बात दोहरा रही है कि 'वे बस वे जिंदा लौट आएं…', वहीं बच्चों का भी रो-रोकर हाल बुरा है। ग्रामीण भी शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि दोनों की घर वापसी के लिए ठोस प्रयास किए जाएं।
Updated on:
30 Sept 2025 09:44 am
Published on:
30 Sept 2025 08:37 am
बड़ी खबरें
View Allकुचामन शहर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
