
आओ यूपी घूमें : कुशीनगर जहां बुद्ध को मिला महापरिनिर्वाण, भगवान राम से भी है गहरा सम्बंध
कुशीनगर. कुशीनगर...यूपी के इस शहर का नाम लेते ही भगवान बुद्ध की वह मुस्कुराहट भरी दिव्य मूर्ति आंखों के सामने तैरने लगती है। भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर ऊंची मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में महापरिनिर्वाण मंदिर में रखी हुई है। इस मूर्ति की खासियत है कि आप इसे किसी भी एंगिल से देखेंगे तो लगेगा कि भगवान मुस्कुराते हुए आपको आशीर्वाद दे रहे हैं। कुशीनगर खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल है। यह दुनिया में गौतम बुद्ध के अनुयायियों के लिए धार्मिक व आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है। साल भर यहां पर बौद्ध धर्मालम्बियों का तांता लगा रहता है।
मानसिक शांति की कुंजी है कुशीनगर :- आइए यूपी घूमें सीरिज के तहत धार्मिक नगरी कुशीनगर की बात करें। धार्मिक पर्यटन के लिहाज से कुशीनगर बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बौद्ध धर्म को जानने, समझने और अपार आंतरिक शांति का अनुभव करने के लिए यह एक अच्छा स्थान है। ऐसा लगता है कि कुशीनगर शीतल हवाओं और मानसिक शांति की कुंजी है।
कुशीनगर और भगवान राम का गहरा संबंध :- कुशीनगर का भगवान राम से गहरा संबंध है। यह भगवान राम के पुत्र 'कुश' की राजधानी थी। इस स्थल का नाम 'कुशावती' था। धीरे धीरे तमाम राजवंश यहां आए और उनके शासन काल में उनके अनुसार कुशीनगर का नाम बदलता रहा। भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश यहां दिया था। जिसके बाद भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया। कुशीनगर में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर 'महवीर' ने अपना अंतिम समय बिताया था। आजादी के बाद, कुशीनगर देवरिया जिले का हिस्सा रहा। 13 मई 1994 को, यह उत्तर प्रदेश के एक नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया।
महापरिनिर्वाण मंदिर का दर्शन जरूरी :- कुशीनगर में कई प्रमुख दार्शनिक स्थल मौजूद है। यहां महानिर्वाण मंदिर हैं। बर्मी संन्यासी, चंद्र स्वामी ने महापरिनिर्वाण मंदिर को एक जीवित मंदिर के रूप में स्थापित किया। बुद्ध की 6.10 मीटर लंबी मूर्ति स्थापित है। भगवान बुद्ध की इस मूर्ति को लाल बलुआ पत्थर के एक ही टुकडे से बनाया गया था। इस मूर्ति में भगवान को पश्चिम दिशा की तरफ देखते हुए दर्शाया गया है, यह मुद्रा, महापरिनिर्वाण के लिए सही आसन माना जाता है। इस मंदिर में बुद्ध के दर्शन के बाद सुध बुध खोकर भगवान में खो जाता है।
कई और दार्शनिक स्थल मोह लेंगे मन :- निर्वाण स्तूप से सिर्फ 400 गज की दूरी पर स्थित, माथाकौर मंदिर। यहां से बुद्ध की काले पत्थर की प्रतिमा खोजी गई थी। बुद्ध ने यहां अंतिम बार अपने शिष्यों को सीख दी थी। इसके अलावा रामाभार स्तूप, बौद्ध संग्रहालय, चीनी मंदिर, जापानी मंदिर और लोकरंग की सैर का आध्यात्मिक आनंद ले सकते हैं।
एक माह का मेला :- बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर में एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ महात्मा बुद्ध से सम्बन्धित है, किन्तु आस-पास का क्षेत्र हिन्दू बहुल है। इस मेले में आस-पास की जनता पूर्ण श्रद्धा से भाग लेती है।
कुशीनगर पहुंचना बेहद आसान :-
हवाई सुविधा :- कुशीनगर पहुंचना अब बेहद आसान हो गया है। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे शुरू हो चुका है। यह अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी के साथ बौद्ध सर्किट तक पहुंच का बड़ा जरिया बन गया है। इस एयरपोर्ट से श्रीलंका, जापान, चीन, ताइवान, साउथ कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर और वियतनाम जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए डायरेक्ट फ्लाइट उपलब्ध है।
रेल सुविधा :- अगर दिल्ली से ट्रेन से आना है तो गोरखपुर तक आ सकते हैं, उसके बाद यहां से आप बस या प्राइवेट टैक्सी से कुशीनगर जा सकते हैं। गोरखपुर से कुशीनगर की दूरी 52 किमी है।
बस सुविधा :- दिल्ली से कुशीनगर तक बस की सीधी सुविधा है।
Published on:
17 Nov 2021 08:48 pm
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