
नई दिल्ली। बहुआयामी प्रतिभा के धनी , प्रखर वक्ता एवं कुशल राजनेता अरुण जेटली को देश में अब तक के सबसे बड़े आर्थिक सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के शिल्पकार के रुप में हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने रात 12 बजे इसकी घोषणा कर देश की आर्थिक नीतियों को बदलकर रख दिया था।
बैंकिंग क्षेत्र में सुधार को कई कदम उठाए
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री के रुप में पांच आम बजट पेश करने वाले जेटली ने अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे ले जाने के लिए कदम उठाये। उन्होंने बैकिंग तंत्र की मजबूती और ऋण लेकर इसकी अदायगी नहीं करने वालों पर शिंकजा कसने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। स्वास्थ्य कारणों की वजह से जेटली ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल में शामिल होने से स्वयं ही मना कर दिया था।
रात 12 बजे देश की बदल दी थी तस्वीर
विपक्ष के सवालों का बड़ी हाजिर जवाबी और सरलता से उत्तर देने वाले श्री जेटली ने जब एक जुलाई 2017 की मध्यरात्रि को संसद के केन्द्रीय कक्ष में अब तक के देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार के रुप में माने जाने वाले जीएसटी को लागू किया तो इसे लेकर काफी सवाल उठाए गए, किंतु एक मंझे हुए आर्थिक विशेषज्ञ के रुप में अपने शेष दो वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने इसके रास्ते में आई सभी बाधाओं को दूर करने के साथ ही इसे सरल बनाने के लिए कोई भी कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी।
समय-समय पर किए अहम बदलाव
जेटली ने जीएसटी के क्रियान्वयन के लिए भाजपा शासित राज्यों ही नहीं बल्कि अन्य दलों की सरकार वाले राज्यों को भी तैयार किया। राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति देने की व्यवस्था कर उन्हें राजी करने के लिए उन्होंने जिस धैर्य का परिचय दिया उसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम है। जीएसटी परिषद की एक -एक कर कई बैठकें की गयी। श्री जेटली ने इसे एक तरफ जहां कारोबार के अनुकूल बनाने में कोई भी मौका नहीं गंवाया तो समय-समय पर मांग के अनुरुप जीसीटी दरों को तर्कसंगत बनाकर इसे आम उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी बनाने का हरसंभव प्रयास किया।
Updated on:
24 Aug 2019 04:54 pm
Published on:
24 Aug 2019 04:53 pm
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