सेबी का आदेश
सेबी मेंबर जी महालिंगम ने आदेश में कहा कि हकीकत में इन आईसीडी का निपटारा नहीं होता था। यह एक तरह की धोखाधड़ी थी। फेक तरीके से हर तिमाही के अंत में एफएचएसएल और उधार लेने वाली कंपनियों के बीच स्ट्रक्चर्ड मूवमेंट के जरिए रीपेमेंट को दिखाया जाता था। ताकि सभी के साथ कहा जा सके कि सभी आईसीडी पर बकाया रकम मिल गई है। उन्होंने यह भी कहा कि हर तिमाही के आखिर में स्ट्रक्चर्ड ट्रांजेक्शंस एफएचएसएल की असल वित्तीय स्थिति छिपाने के लिए किए जाते थे।
ऐसे होता था फंड का डायवर्जन
सेबी के अनुसार फंड एफएचएसएल से बेस्ट, फर्न और मॉडलैंड को जाता था और इस तरह प्रमोटर से जुड़ी दो इकाइयों यानी आरएचसी होल्डिंग्स और रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड में जाता था। लेकिन इसका पूरा फायदा शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह को होता था। सेबी के अनुसार एक ही ग्रुप की आरएचसी होल्डिंग्स और रेलिगेयर फिनवेस्ट पर शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह का क्रमश: शिवी होल्डिंग्स और मालव होल्डिंग्स के जरिए संयुक्त कंट्रोल था।
सेबी ने लगाए आरोप
सेबी के अनुसार फोर्टिस हॉस्पिटल्स ने 30 जून, 2016 से 30 जून, 2017 के बीच कई स्ट्रक्चर्ड ट्रांजैक्शंस किए थे। जो फर्जीवाड़े से किए गए थे। ये सभी ट्रांजैक्शंस कई इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट्स से संबंधित थे, जिन्हें फोर्टिस हॉस्पिटल्स ने बेस्ट, फर्न और मॉडलैंड को दिया था। यह दिखाया गया था कि हर तिमाही के अंत में इन आईसीडी का निपटारा कर दिया जाता था।