ये कंपनियां अपने स्मार्टफोन के डिजाइन और कॉम्पोनेंट्स को इस तरह से बनाती हैं, जिससे खुद यूजर या कोई दूसरा इनके पार्ट्स न बदल पाए। इनमें प्रोसेसर और फ्लैश मेमोरी कॉम्पोनेंट्स को मदरबोर्ड के साथ ग्लू और नॉन स्टैंडर्ड पेंटेलोब स्क्रू सो जोड़ा जाता है। इससे इन्हें बदलना दूसरी कंपनियों के लिए बहुत कठिन होता है। थर्ड पार्टी रिपेयर कंपनियां इन पार्ट्स को नहीं बदल पाती और ग्राहक को मजबूरी में कंपनी के ही सर्विस सेंटर में जाना पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया के राइट टू रिपेयर इंक्वाइरी के तहत आए सब्मिशन में टेक मैन्युफैक्चरर्स को कहा गया है कि वो मार्केट रिपेयर की अनुमति दें। साथ ही उन्हें ऐसा प्रोडक्ट बनाने के लिए का गया है, जिसे थर्ड कंपनियां भी आसानी से ठी कर सके सके।
राइट टू रिपेयर ग्राहकों को अधिकार देता है वे थर्ड पार्टी रिपेयर कंपनियों से कम कीमत में अपने स्मार्टफोन रिपेयर करा सकें। इसमें ग्राहक अपने स्मार्टफोन को किसी भी रिपेयर कंपनी से ठीक करा सकते हैं। लेकिन इस मामले में आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल की राय अलग है। एप्पल का कहना है कि थर्ड पार्टी रिपेयरर्स फोन ठीक करने या रिपेयर दौरान कम क्वालिटी पार्ट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे कंपनी के डिवाइस को आसानी से हैक किया जा सकता है।
इस मामले में एप्पल का कहना है कि उनके फोन के कई पार्ट्स ऐसे होते हैं, जिन्हें ठीक करने के लिए कंपनी के पास स्पेशल टूल हैं। एप्पल का कहना है कि अगर ग्राहक थर्ड पार्टी से फोन ठीक कराते हैं तो उसमें गड़बड़ी के चान्स ज्यादा रहते हैं। बता दें कि एप्पल के अलावा सैमसंग के फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स को भी थर्ड पार्टी से रिपेयर कराना बहुत कठीन है।
बता दें कि एप्पल ने आईफोन 12 को भी इस तरह से डिजाइन किया है कि उसे थर्ड पार्टी से रिपेयर नहीं कराया जा सकता। इसके साथ ही कंपनी ने आईफोन 12 के लिए रिपेयर चार्जेस 40 प्रतिशत तक बढ़ा दिए हैं। अगर आप आईफोन 12 की स्क्रीन बदलवाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एप्पल के सर्विस सेंटर में 359 डॉलर देने होंगे। वहीं बैटरी बदलवाने के लिए 109 डॉलर। वहीं अगर कंपनी बाहर से इसे ठीक कराने की इजाजत दे तो यह कम कीमत में ठीक हो सकता है।