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Holi 2023: क्या आप जानते हैं भारत में हर जगह होली का है अलग नाम और अलग अंदाज

Holi 2023: हर देश और राज्य में होली को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। बरसाना की लठमार होली हो चाहे वृंदावन की लड्डू होली। प्रत्येक राज्य में होली को मनाने के तरीके भी अलग-अलग हैं। यहां जानें होली के ऐसे ही रोचक तथ्य...

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Sanjana Kumar

Mar 07, 2023

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Holi 2023: हिंदुओं के प्रमुख पर्वों में से एक होली का पर्व भारत में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारत समेत श्रीलंका, नेपाल और मॉरिशस समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। हर देश और राज्य में होली को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। बरसाना की लठमार होली हो चाहे वृंदावन की लड्डू होली। प्रत्येक राज्य में होली को मनाने के तरीके भी अलग-अलग हैं। यहां जानें होली के ऐसे ही रोचक तथ्य...

कब मनाई जाती है होली
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है और पंचमी को रंग पंचमी मनाई जाती है।

कैसे शुरू हुई होली मनाने की परम्परा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक होली मनाने की परम्परा के पांच अलग-अलग कारण माने गए हैं। पहला असुर हिरण्याकश्यप की बहन होलिका का दहन हुआ था। दूसरा शिव ने कामदेव को भस्म करने के बाद जीवित किया था। तीसरा इस दिन कृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। चौथा त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था और पांचवां इसी दिन राजा पृथु ने राज्य के बच्चों को बचाने के लिए राक्षसी ढुंढी को लकड़ी जलाकर आग से मार दिया था। परम्परागत रूप से, यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

ऐसे मनाई जाती है होली
होली का पर्व होलिका दहन के दिन से शुरू होता है। धुलेटी दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन रंग और गुलाल से होली खेली जाती है। लोग शाम को एक-दूसरे से मिलने उनके घरों पर जाते हैं। होली का यह पर्व रंग पंचमी तक मनाया जाता है।

यह है होली का रोचक इतिहास
प्राचीनकाल में होली को होलाका के नाम से जाना जाता था और इस दिन आर्य नवात्रैष्टि यज्ञ करते थे। होलिका दहन के बाद 'रंग उत्सव' मनाने की परंपरा भगवान श्रीकृष्ण के काल से प्रारंभ हुई। तभी से इसका नाम फगवाह हो गया, क्योंकि यह फागुन माह में आती है। लेकिन समय के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की संस्कृति और स्थानीय भाषा के आधार पर इसके नाम भी बदलते गए। प्राचीन भारतीय मंदिरों की दीवारों पर होली उत्सव से संबंधित विभिन्न मूर्ति या चित्र अंकित पाए जाते हैं। अहमदनगर चित्रों और मेवाड़ के चित्रों में भी होली उत्सव का चित्रण मिलता है। ज्ञात रूप से यह त्योहार 600 ईसा पूर्व से मनाया जाता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में भी होली और दिवाली मनाए जाने के पुख्ता सबूत मिले हैं।

यहां जानें किस क्षेत्र या राज्य में होली का क्या है नाम

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ ही राजस्थान में होली वाले दिन होलिका दहन किया जाता है। दूसरे दिन धुलेटी मनाई जाती है। फिर पांचवें दिन रंग पंचमी मनाए जाने की परम्परा है। यहां के आदिवासियों में होली की खासी धूम देखी जाती है।

महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा
महाराष्ट्र में होली को 'फाल्गुन पूर्णिमा' और 'रंग पंचमी' के नाम से जानते हैं। गोवा के मछुआरा समाज में इसे शिमगो या शिमगा कहा जाता है। गोवा की स्थानीय कोंकणी भाषा में शिमगो कहा जाता है। गुजरात में गोविंदा होली की धूम रहती है।

बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में होली को फगुआ, फाग और लठमार होली कहते हैं। विशेषकर बृज भूमि यानी मथुरा, नंदगांव, गोकुल, वृंदावन और बरसाना में होली का उत्सव बेहद निराला और खूबसूरत होता है।

हरियाणा और पंजाब
हरियाणा में होली को दुलंडी या धुलैंडी के नाम से जाना जाता है। वहीं पंजाब में होली को 'होला-मोहल्ला' कहा जाता है।

पश्चिम बंगाल और ओडिशा
पश्चिम बंगाल और ओडिशा में होली को 'बसंत उत्सव' और 'डोल पूर्णिमा' के नाम से पुकारा जाता है।

तमिलनाडु और कर्नाटक में होली
तमिलनाडु में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हैं। इसीलिए यहां पर होली को कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहा जाता है। कर्नाटक में होली के पर्व को कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में भी ऐसी ही होली मनाई जाती है।

मणिपुर और असम
मणिपुर में होली को योशांग या याओसांग कहा जाता है। यहां धुलेटी वाले दिन को पिचकारी कहा जाता है। असम में होली को 'फगवाह' या 'देओल' कहा जाता है। त्रिपुरा, नगालैंड, सिक्किम और मेघालय में भी होली की धूम रहती है।

उत्तराखंड और हिमाचल में होली
यहां होली को एक प्रकार के संगीत समारोह का रूप देकर मनाया जाता है। इसे बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली कहकर पुकारा जाता है। यहां कुमाउनी होली मशहूर है।

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