नई दिल्लीPublished: May 18, 2023 11:30:58 am
Namita Kalla
Misophonia: क्या अक्सर आपको घड़ी की टिक-टिक, पक्षियों के चहकने, क़दमों की आहट या चलते हुए जूतों की आवाज़ या किसी के खाना चबाने की आवाज़ से आपको परेशानी होती है ? क्या इन रोजमर्रा की आवाजों को सुनकर आप असज, चिंतित या चिड़चिड़ा महसूस करते है? इस आर्टिकल में जानिए ऐसा क्यों होता है, क्या है यह डिसऑर्डर, इसके कारण और इसका निवारण :
Misophonia: दरवाज़ा खुलना या बंद होना, लोगों का जोर-जोर से बात करना, गाड़ियों का गुजरना, या किसी के जोर से सांस लेने की आवाज़ यह सभी सामान्य आवाज़ें हैं जो हमारी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा है। फिर भी इन आवाज़ों को सुनकर हम में से कई लोग चिंता, एंग्जायटी या चिड़चिड़ापन महसूस करने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस तरह के साउंड्स उनके अंदर नेगेटिव इमोशन पैदा करते हैं जिसके कारण उनका रिएक्शन भी नेगेटिव होता है। अक्सर उनके इस चिड़चिड़ेपन को लोग यह कहकर टाल देते हैं की 'इसकी तो आदत है'। लेकिन देखा जाए तो यह एक आदत नहीं एक तरह का साउंड डिसऑर्डर है जिसे मिसोफोनिया कहते हैं। जो लोग इस डिसऑर्डर के शिकार होते हैं उन्हें सामान्य आवाज भी खतरनाक लगती है और उन्हें तंग कर देती है।