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UP Politics : बीजेपी के लिए चुनौती बन सकती है चाचा-भतीजे की जोड़ी

locationलखनऊPublished: May 18, 2021 04:38:51 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

UP Politics – त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों ने अखिलेश-शिवपाल के करीब आने के संकेत दिए हैं, अब दोनों के साथ आने की अटकलें तेज हैं

Akhilesh Yadav and Shivpal Yadav

राजनीतिक विश्लेषकों मानें तो इटावा में जीत के बाद भले ही चाचा-भतीजे की जोड़ी फिर सुर्खियों में है, लेकिन दोनों का साथ आना इतना भी आसान नहीं है

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. UP Politics. यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष (Jila Panchayat Adhyaksh) की कुर्सी के लिए जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। सभी राजनीतिक दल जातीय व क्षेत्रीय समीकरण साधने की कवायद में जुटे हैं। मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच है। तमाम कोशिशों के बावजूद मुलायम के गढ़ में बीजेपी कमल नहीं खिला पाई तो इसकी मुख्य वजह थी मुलायम परिवार की एका। पंचायत चुनाव में इटावा की 24 में से बीजेपी सिर्फ एक सीट ही जिता पाई, जबकि सपा समर्थित 09 और शिवपाल समर्थित 08 उम्मीदवार चुनाव जीत गए। अब जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी हिट यह फॉर्मूला अपनाया जा सकता है, खासकर ‘मुलायम बेल्ट’ में। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों ने अखिलेश-शिवपाल के करीब आने के संकेत दिए हैं, जिसकी बुनियाद पर 2022 की सियासी पटकथा भी लिखी जा सकती है।
इटावा, मैनपुरी, औरैया, कन्नौज, फिरोजाबाद जैसे जिलों को मुलायम परिवार के प्रभाव वाला इलाका माना जाता है। लंबे अरसे से इन जिलों में समाजवादी पार्टी का सियासी प्रभुत्व रहा है। बीजेपी यहां जीत के लिए हर जतन कर रही है, लेकिन चाचा-भतीजे की जोड़ी उनके मंसूबों पर पानी फेर सकती है। इटावा में सपा-प्रसपा मिलकर आसानी से जिला पंचायत अध्यक्ष बना सकती हैं। ऐसे ही फिरोजाबाद की 33 में से 16 सीटों पर सपा और 02 सीटों पर प्रसपा समर्थित कैंडिडेट जीते हैं। यहां दोनों मिलकर आसानी से जिले पर कब्जा बरकरार रख सकते हैं। मैनपुरी की 30 में 12 पर सपा, 09 पर निर्दलीय, 08 पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। कन्नौज कुल 28 में से सपा 11, बीजेपी 06, बसपा 01 और निर्दलीय 10 सीटों पर जीते हैं। मैनपुरी-कन्नौज जिले में जीते निर्दलीयों में कई शिवपाल समर्थक हैं। ऐसे में सपा-प्रसपा मिलकर यहां जीत दर्ज कर सकती है।
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राजनीतिक विश्लेषकों मानें तो इटावा में जीत के बाद भले ही चाचा-भतीजे की जोड़ी फिर सुर्खियों में है, लेकिन दोनों का साथ आना इतना भी आसान नहीं है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद से अभी तक अखिलेश यादव ने शिवपाल को लेकर कोई बयान दिया है। पूर्व में भी उन्होंने कई बार एडजेस्टमेंट की बात कही है, जबकि चाचा शिवपाल गठबंधन पर अड़े हैं। जानकारों का कहना है कि परिवार की सहानुभूति हासिल करने के लिए शिवपाल ने इटावा में अभिषेक यादव का समर्थन किया है। सफलता के बाद अब शिवपाल समर्थक चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में सपा उन्हें सम्मानजनक सीटें दे।
32 वर्षों से इटावा में सपा का कब्जा
इटावा जिला पंचायत में 32 वर्षों से समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। पंचायत चुनाव के नतीजों से स्पष्ट हो गया है यहां अगला अध्यक्ष भी सपा का ही होगा। बीजेपी ने यहां की सभी 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन शिवपाल-अखिलेश के अंदरूनी गठजोड़ के चलते बीजेपी यहां महज एक सीट ही जीत सकी।
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सत्ता की चाबी निर्दलीयों के पास
भाजपा और सपा दोनों का ही दावा है कि सबसे ज्यादा उनके ही जिलाध्यक्ष/ब्लॉक प्रमुख जीतेंगे। लेकिन यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि इस बार जिलों में सत्ता की चाबी निर्दलीयों के पास ही है और वह ही किंग मेकर बनेंगे। प्रदेश के करीब 60 जिले ऐसे हैं जहां निर्दलीय ही जिला पंचायत अध्यक्ष बनाएंगे। ऐसे में धनाढ्य उम्मीदवार तलाशे जा रहे हैं ताकि निर्दलीयों को हर तरह से साधकर अपने पाले में लाया जा सके। मतलब साफ है जो निर्दलीयों को साधने में कामयाब रहेगा, जिले की सत्ता उसी दल के पास होगी। इसके अलावा कई जिलों में छोटे दल भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
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