
अवैध खनन मामले में सीबीआई का और कसा शिकंजा, अखिलेश यादव की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
लखनऊ. अवैध खनन के मामलों को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अवैध खनन के मामलों को लेकर सीबीआई 09 जुलाई से लगातार यूपी में छापेमारी (CBI Raid) कर रही है। मंगलवार को सीबीआई ने बुलंदशहर, लखनऊ, फतेहपुर, आजमगढ़, इलाहाबाद, नोएडा, गोरखपुर और देवरिया में कई ठिकानों पर छापेमारी की। इन मामलों में सपा प्रमुख की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। सपा सरकार में 2012 से 2013 के बीच खनन विभाग उनके पास था। कहा जा रहा है कि अवैध खनन 2012 से 2016 के बीच हुई।
सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव की सरकार में वर्ष 2012 से 2016 के बीच कुल 22 ठेके जारी किए थे, जबकि इनमें से 14 ठेके तब जारी किए गए जब खनन विभाग अखिलेश के पास था। शेष आठ ठेके गायत्री प्रजापित के खनन मंत्री रहने के दौरान जारी किये गये। बीते माह सीबीआई ने अमेठी स्थित गायत्री प्रजापति के आवास और ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी। उस वक्त सीबीआई ने गायत्री प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) के ठिकानों सहित 22 स्थानों पर छापेमारी की थी। बुधवार को यूपी में सीबीआई ने ताबड़तोड़ छापेमारी की। इनमें बुलंदशहर के जिलाधिकारी अभय कुमार सिंह के ठिकानों पर भी छापेमारी शामिल है। गौरतलब है कि अभय सिंह अखिलेश सरकार में फतेहपुर के जिलाधिकारी थी। उस वक्त खनन में कई अनियमितताएं पाई गई थीं। माना जा रहा है कि इन छापेमारी से अखिलेश यादव की कई मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सपा के यह नेता भी आरोपी
अवैध खनन के मामले में अब तक सीबीआई (CBI) सपा के एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन विभाग में क्लर्क, राम आश्रय प्रजापति, हमीरपुर से अंबिका तिवारी, खनन विभाग के क्लर्क राम अवतार सिंह और उनके रिश्तेदार और संजय दीक्षित मामले के आरोपियों में से हैं।
Updated on:
10 Jul 2019 08:07 pm
Published on:
10 Jul 2019 08:01 pm
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